बिहार में जारी सियासी बयानबाजी के बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और सीएम नीतीश कुमार से मिले हैं. सोमवार की शाम दोनों की मुलाकात सीएम आवास पर हुई. सोमवार को ही लैंड फॉर जॉब्स केस में CBI की नई चार्जशीट में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम जुड़ा है. ऐसे में नीतीश और हरिवंश की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में बगावत का बवंडर उठा तो क्या इससे बिहार में भी सियासी मौसम बदलने वाला है.
अटकलों का बाज़ार गर्म
सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार बने हुए हैं और बिहार में ताजा हलचल के केंद्र में नीतीश कुमार ही हैं. जिन्होंने लंबे वक्त बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ मैराथन बैठक की. इधर बैठक हुई. उधर ऑपरेशन लोटस, नीतीश खेमे में टूट, महागठबंधन में दरार जैसे दावे फिजा में तैरने लगे. राज्यसभा के उपसभापति JDU के सांसद भी हैं. आखिर क्या वजह है कि अपनी ही पार्टी के सांसद से नीतीश कुमार की मुलाकात ने अटकलों का बाज़ार गर्म कर दिया.
तेजस्वी के इस्तीफे का दवाब
ललन सिंह महागठबंधन की मजबूती के चाहे जितने भी दावे कर लें, लेकिन बीजेपी ने तेजस्वी के इस्तीफे का दवाब बनना शुरू कर दिया है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांगा तो आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बीजेपी पर ही हमला बोल दिया.
मुलाकात में क्या बात हुई?
सवाल ये कि आखिर हरिवंश और नीतीश कुमार के बीच डेढ़ घंटे की मुलाकात में क्या बात हुई? हालांकि संख्या बल के हिसाब से आरजेडी के अलावा बीजेपी ही ऐसी पार्टी है, जिसके साथ जाकर नीतीश फिर सीएम बन सकते हैं. वैसे बीजेपी का जो रुख अभी दिख रहा है उसमें उनको उसका साथ मिलना मुश्किल दिखता है. बीजेपी कई बार कह चुकी है कि नीतीश के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो चुके हैं. पर, उम्मीद इसलिए दिखती है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. बीजेपी विचारधारा में अपनी धुर विरोधी पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है तो नीतीश के साथ चलने का उसके पास डेढ़ दशक का तजुर्बा भी है.
होने वाला है कोई बड़ा GAME?
बिहार में वर्तमान में हो रही राजनीति को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक भी अब ये मानने लगे हैं कि बीजेपी यहां पर कोई बड़ा गेम करने में जुटी हुई है. सीएम पिछले कुछ दिनों से अपने पार्टी के नेताओं से मिल रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की. इसके बाद पार्टी के विधायकों और विधान पार्षदों से मिले. अब पिछले तीन दिनों से सीएम अपनी पार्टी के लोकसभा-राज्यसभा सांसदों से मिल रहे हैं. इस मुलाकात के मायने क्या हैं, ये आने वाले वक्त में पता चलेगा?