पटना (आईएएनएस)। देश में भले ही विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर रणनीति बनाई जा रही हो, लेकिन बिहार में इसका प्रयोग सफल रहा है और महागठबंधन की सरकार चल रही है। इधर, महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अकेले पड़ चुकी भाजपा को भी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और लोजपा (रामविलास) के रूप में नए सहयोगी मिल चुके हैं, ऐसे में दोनों गठबंधन अब आगामी चुनाव को लेकर मुद्दे की तलाश कर रहे हैं।
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन जहां जातीय गणना को लेकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा ने अपने हिंदुत्व के मुद्दे को शिक्षा विभाग द्वारा पर्व त्योहारों की छुट्टी में कटौती को सनातन संस्कृति और हिंदुओं को अपमान से जोड़कर हवा देने की कोशिश कर रही है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रत्येक 10 साल पर होने वाली जनगणना को नहीं कराए जाने पर केंद्र सरकार को घेरने में जुटे हैं तो जदयू और राजद के नेता भाजपा को जातीय गणना विरोधी बताकर कटघरे में खड़ा करने को लेकर व्यग्र हैं।
एनडीए के शासनकाल में ही बिहार में जातीय गणना कराने की योजना बनी थी और कैबिनेट में इसपर मुहर लगाई गई थी।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि अगर भाजपा जातीय गणना की इतनी पक्षधर है तो देश में जातीय गणना क्यों नहीं कराना चाहती।
उन्होंने आगे कहा कि सामाजिक, आर्थिक गणना को तो छोड़िए, भाजपा की सरकार देश में जनगणना भी नहीं करा रही है। विश्व में अमेरिका और पाकिस्तान ने भी अपने यहां जनगणना करा ली है, ऐसे में भाजपा देश में जनगणना नहीं करने को लेकर बहाना क्यूं बना रही है?
कुमार ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि संविधान के तहत दलितों को मिलने वाले संसद और विधानमंडलों में उनकी सीटों की तादात नहीं बढ़े, इसको लेकर जनगणना नहीं करा रही?
इधर, जदयू ने जाति आधारित गणना को रोकने की साजिश तथा केंद्र सरकार की कुछ नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को पोल-खोल अभियान शुरू किया है।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि जातीय गणना को लेकर भाजपा द्वारा उठाए गए कदमों को देख लें, आपको साफ लगेगा कि भाजपा कभी भी जातीय गणना के पक्ष में नहीं रही है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि इसकी पोल सर्वोच्च न्यायालय में खुल गई है।
इस बीच, भाजपा जहां जातीय गणना को लेकर भी सरकार पर पलटवार करती नजर आ रही है, वहीं हाल ही में सरकारी स्कूलों में पर्व त्योहार में छुट्टी कटौती को लेकर भी मोर्चा खोल दिया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि नीतीश कुमार की सरकार हो या पार्टी, दोनो बिहार में सिर्फ नौटंकी कर रही है।
उन्होंने कहा कि जदयू जातीय सर्वे को लेकर आंदोलन कर रही हैं, लेकिन सवाल है कि उन्हें जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी करने से रोका किसने है। वे रिपोर्ट जारी क्यों नहीं कर रहे।
भाजपा नेता ने कहा कि ईबीसी आयोग की रिपोर्ट एक साल बाद भी जारी नही की गई, सवर्ण आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कोई काम नही हुआ। चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि नीतीश जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी करना नहीं चाहते, इसलिए सिर्फ नौटंकी कर रहे हैं।
इधर, भाजपा स्कूल में छुट्टी कटौती को लेकर मुखर है। विधानसभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक जनक सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पहले से तय छुट्टी में कटौती नहीं होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि यह सनातन धर्मावलंबियों का अपमान है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर जब हिंदुओं के पर्व त्योहार के सीजन की शुरूआत हुई तभी सरकार को छुट्टी कटौती की याद कहां से आ गई। उन्होंने कहा कि यह तुष्टिकरण नहीं तो और क्या है?
बहरहाल, जहां सत्ताधारी गठबंधन जातीय गणना को लेकर भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं गठबंधन के इस सियासी धार को कुंद करने का एनडीए गठबंधन को स्कूलों में छुट्टी कटौती के रूप में हथियार मिल गया है। भाजपा इसके जरिए अपने हिंदुत्व के मुद्दे को हवा दे रही है, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि कौन अपने मकसद में कितना सफल होता है।