भागलपुर: इस साल कोरोना के मामले तो आए, लेकिन अन्य मौसमी बीमारियों की तरह. इसलिए कोरोना को लेकर लोगों के मन में खौफ जा चुका है. इसका असर कोरोना से जुड़े कारोबार पर पड़ने लगा है. दवा की दुकानों में न केवल लाखों रुपये के कोरोना से बचाव के हथियार पड़े हुए हैं, बल्कि वहीं कोरोना के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं की बिक्री औंधे मुंह गिर चुकी है. ऐसे में कारोबारियों को इस बात की चिंता है कि कोरोना से बचाव के हथियार न जाने कब तक खपेंगे और उनकी पूंजी कब निकलेगी.
भागलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत लाल ठाकुर बताते हैं कि अप्रैल से जून 2021 के बीच जिले में हर रोज औसतन 25 लाख रुपये के मास्क व हैंड सेनिटाइजर बिक रहे थे. लेकिन आज ये आलम है कि रोजाना बमुश्किल 20 से 25 हजार रुपये के हैंड सेनिटाइजर व मास्क ही बिक पा रहे हैं. एन95 मास्क की बिक्री तो आज की तारीख में शून्य है. अकेले थोक बाजार में तकरीबन नौ करोड़ रुपये के मास्क व हैंड सेनिटाइजर दुकानों से लेकर गोदामों में पड़े हैं.
वायरल और डेंगू ने संभाला पैरासिटामॉल की बिक्री को
करीब दो साल पहले तक ऐसा कोई घर नहीं होगा, जहां पर पैरासिटामॉल की गोली खरीदकर रखा न गया हो. अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 के दौरन तो लोगों को पैरासिटामॉल 650 एमजी की गोली तो जल्दी मिलती ही नहीं थी. दवा के थोक कारोबारी प्रदीप जैन बताते हैं कि अगर आज की तारीख में वायरल फीवर, डेंगू व टायफाइड की बीमारी नहीं होती तो पैरासिटामॉल की बिक्री शून्य होती. लेकिन आज की तारीख में हर रोज औसतन साढ़े तीन से चार लाख रुपये का पैरासिटामॉल हर रोज बिक जा रहा था. लेकिन अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 के बीच हर रोज 13 से 14 लाख रुपये का पैरासिटामॉल बिक रहा था.