लोकसभा चुनाव में दुर्गम पहाड़ी की चढ़ाई कर दूर वोट देने जाएंगे मतदाता

कैमूर जिले के नौहट्टा प्रखंड के पांच गांवों के मतदाता मतदान को लेकर उहापोह में हैं

Update: 2024-04-24 05:40 GMT

बेगूसराय: इस बार लोकसभा चुनाव में पूरे देश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर है. चुनाव आयोग की ओर से मतदान केंद्रों तक वोटरों की पहुंच बढ़ाने के लिए कई उपाय किये जा रहे हैं. दूसरी तरफ कैमूर जिले के नौहट्टा प्रखंड के पांच गांवों के मतदाता मतदान को लेकर उहापोह में हैं. कोरहास, बंडा, हसडी, पंडो और चुन्हट्टा गांव के मतदाताओं के लिए सोली गांव में बूथ बनाया गया है. मतदाताओं को वोट डालने के लिए छह से किमी दूर जाना होगा. पहाड़ी पर बसे ये सभी गांव सासाराम संसदीय क्षेत्र में हैं, जहां अंतिम चरण में एक जून को मतदान है. पहले इन गांवों के लिए पहाड़ी के ऊपर के ही गांव कोरहास में बूथ हुआ करता था. लेकिन, 2000 के बाद के चुनावों मे नक्सली हिंसा का हवाला देते हुए इसे सोली गांव में स्थानांतरित कर दिया गया. इन गांवों में करीब 00 मतदाता हैं. सबसे ज्यादा बंडा से सोली गांव की दूरी किमी है, जबकि सबसे कम दूरी बंडा व कोरहास के बीच छह किमी की है. मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए वोटरों को बारखोह, टेढ़वा खोह व गोरता नदी पार करनी होगी. साथ ही दुर्गम रास्तों और जंगल को पार कर पैदल चलना होगा. पंडो के रामरूप यादव बताते हैं कि बूथ तक आने-जाने में ही पूरा दिन निकल जाएगा. बंडा के रामसकल सिंह का कहना है कि लोगचुनाव में दूरी की वजह से दिलचस्पी नहीं दिखाते.

चुन्हट्टा के करीमन उरांव, पूर्व मुखिया श्यामनारायण उरांव और पूर्व सरपंच लक्ष्मण उरांव का कहना है कि चलंत बूथ की व्यवस्था होती या कोरहास में ही केंद्र बनाया जाता तो काफी हद तक सहूलियत होती.

पिछले चुनाव में पड़े थे सिर्फ चार-चार मत

पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पहाड़ के बूथों पर चार-चार मत पड़े थे. वोट देने वालों में गांवों के चौकीदार और कुछ अन्य लोग थे, जो प्रशासन की मनुहार पर आए थे. हालांकि पंचायत चुनाव (2021) में करीब 50 फीसदी मत पड़े थे. तब सभी वार्ड, पंच, सरपंच, बीडीसी व मुखिया प्रत्याशियों ने बूथ न बदलने पर नामांकन वापस लेने का आवेदन दिया था. तब प्रत्याशियों के दबाव में प्रशासन ने रेहल व सोली में पंचायत चुनाव कराया था.

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