सहरसा। फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर 15 साल बाद ट्रेन चलने की उम्मीद जगी है। फारबिसगंज से नरपतगंज के बीच रेलखंड का निरीक्षण हो गया है। दरअसल, फारबिसगंज नरपतगंज से कोसी और मिथिलांचल तक रेलवे ट्रैक बिछाने का काम भी पूरा हो चुका है। इसके साथ ही नए रेल ट्रैक के सीआरएस का निरीक्षण भी हो गया है। हाजीपुर जोन के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा कि नरपतगंज से फारबिसगंज के बीच बचे हुए कुल 17 किलोमीटर के इलाके का सीआरएस का निरीक्षण किया गया, जोकि कोलकाता पूर्वी सर्किल के संरक्षा आयुक्तसुवोमोय मित्रा के द्वारा लिया गया। संरक्षा ने पहले नरपतगंज से फारबिसगंज तक मोटर ट्रॉली से निरीक्षण किया। इसके बाद स्पीड ट्रायल किया गया। 100-125 की रफ्तार से रेल इंजन चलाकर स्थिति का जायजा लिया गया। इसमें सफलता मिली है।
इस कारण फारबिसगंज के इलाके के लोगों में उम्मीद जगी है कि फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य 15 साल बाद पूरा हो गया हैं। वहीं सहरसा से ललितग्राम तक कुल 94 किलोमीटर रेलखंड का आमान परिवर्तन का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका था। अब बचे हुए 17 किमी लंबे नरपतगंज से फारबिसगंज तक सीआरएस निरीक्षण के साथ ही यह परियोजना पूर्ण हो गई। सहरसा फारबिसगंज रेलखंड पर ट्रेन परिचालन से कोसी मिथिलांचल के लोग फारबिसगंज, जोगबनी, कटिहार जाने वाली ट्रेन से आवाजाही कर सकेंगे। बता दें कि 2008 में नेपाल के कुसहा बांध के टूट जाने से अररिया जिले के कई प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए थे। इस बाढ़ से दर्जनों की संख्या में गांव बह गए थे। इस बाढ़ में नरपतगंज, सुपौल का रेलवे लाइन जो सहरसा की ओर जाती है। वह बाढ़ से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। अब फिर 15 वर्ष के बाद सहरसा से फारबिसगंज और जोगबनी तक के लिए ट्रेन चलेगी।