बक्सर जिले की तीन पंचायत टीबी मुक्त हुई
कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी प्रखंडों से दो-दो पंचायतों का चयन किया गया था
बक्सर: जिले को 2025 तक टीबी मुक्त करने की दिशा में जिला यक्ष्मा केंद्र प्रयासरत है. जिसके तहत पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिया संचालित टीबी मुक्त पंचायत पहल कार्यक्रम की गति तेज कर दी गई है. कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी प्रखंडों से दो-दो पंचायतों का चयन किया गया था.
पिछले एक साल के हुए कार्यों को देखते हुए तीन पंचायतों को टीबी मुक्त बनाया जा चुका है. जिनमें बक्सर सदर प्रखंड के कमरपुर और जासो के साथ चौसा प्रखंड के सरेंजा पंचायत का चयन किया गया है. जिसकी घोषणा 24 को विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर डीएम अंशुल अग्रवाल करेंगे. साथ ही, तीनों पंचायतों के मुखिया को टीबी मुक्त पंचायत का प्रमाण पत्र एवं राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी की कांस्य मूर्ति देकर सम्मानित किया जाएगा. इनके अलावा कार्यक्रम के दौरान बढ़िया काम करने वाले सात अन्य पंचायतों के मुखिया को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा. जिनमें सिकरौल, नागपुर, हरपुर, सोवां, नंदन, खेवली और कतिकनार पंचायत शामिल हैं. सीएस सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि पंचायत, प्रखंड और जिला तीनों को ही टीबी मुक्त बनाने की दिशा में ग्राम पंचायतों की सहभागिता रहेगी. साथ ही, इस कार्यक्रम से पंचायतों में प्रतिस्पर्धा का माहौल बना है.
कम से कम 30 लोगों की बलगम जांच अनिवार्य: डीपीसी कुमार गौरव ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत के लिए सरकार ने कुछ इंडिकेटर निर्धारित किए हैं. जिनमें कार्यक्रम के तहत चयनित पंचायतों में एक हजार जनसंख्या पर एक या एक से कम मरीज होने चाहिए. इसी तरह उस इलाके में एक हजार लोगों में कम से कम 30 लोगों की बलगम जांच अनिवार्य है. एक वर्ष तक 85 फीसदी ट्रिटमेंट सेक्सस रेट होना चाहिए. साथ ही, डीबीटी के तहत पहली निक्षय पोषण का लाभ लेना जरूरी है. टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत मरीजों को पोषण किट दी गई हो. यूनिवर्सल ड्रग्स सेंसिटिविटी टेस्ट भी अनिवार्य है. इन इंडिकेटर्स को पूरा करने वाले पंचायतों को 2023 के लिए एक साल के टीबी मुक्त ग्राम पंचायत का सर्टिफिकेट दिया जा रहा है.