सहजन की उन्नत खेती के किसानों को बताए गए गुर

Update: 2023-08-08 11:09 GMT

सिवान: प्रखंड के कृषि विज्ञान केन्द्र में सहजन की खेती को लेकर किसान गोष्ठी का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि जेड ए इस्लामिया कॉलेज सीवान के हिन्दी के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार अशोक प्रियम्बद, केन्द्र की अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी व अन्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया. इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने कहा कि मोरिंगा, जिसे हिंदी में सहजन या सहजन के फल के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष प्रकार का पौधा है. यह भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह पौधा पोषकता से भरपूर होता है और विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इसका उपयोग किया जाता है. उन्होंने सहजन के उपयोगिता व लाभ की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मोरिंगा के पत्ते, फल, और बीज सभी तरह के पोषकत्व से भरे हुए होते हैं.

सहजन की खेती की विस्तृत जानकारीउद्यान वैज्ञानिक डॉ. जोना दाखो ने सहजन की खेती की विस्तृत जानकारी दी. इंजीनियर कृष्ण बहादुर छेत्री ने सहजन के विभिन्न प्रोडक्ट बनाने की जानकारी दी गई. विनोद कुमार पांडे द्वारा डिजिटल मीडिया के बारे में जानकारी दी गई. गोष्ठी का आयोजन डॉक्टर जोना दाखो द्वारा किया गया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ नंदीशा सीवी ने किया. मौके पर विनोद कुमार पांडेय, कृषि वैज्ञानिक डॉ. जोना दाखो, डॉ. नंदिशा सीवी, कृष्ण बहादुर छेत्री, विश्वजीत कुमार, सचिन कुमार, मंजीत सिंह, सुभावती देवी, रेणु देवी, सिन्धु कुमारी, विजय कुमार, रंजीत यादव, कृष्णा, उत्तम, अंकुश व अन्य किसान थे. सबको सहजन का पौधा वितरित किया गया.

सहजन के पत्ते भी हैं अधिक लाभदायक

इसके पत्ते विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, और प्रोटीन का भी एक उत्कृष्ट स्रोत होते हैं. इसके फलों में भी कई गुण होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं. इसमें गाजर से तीन से चार गुना अधिक विटामिन ए, नींबू से सात गुना अधिक विटामिन सी, दूध से दोगुना अधिक प्रोटीन, चार गुना अधिक कैल्शियम, केला से तीन गुणा अधिक पोटैसियम, पालक से चार गुणा अधिक लौह तत्व मिलता है. भरपूर पोषकत्व के कारण मोरिंगा (सहजन)भारतीयों के घरेलू खाने की रसोई में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और सेहत को बनाए रखने में मदद मिलती है. कुपोषण को दूर करने में यह वरदान साबित हो सकता है. इसे वरदान वृक्ष भी कहा जाता है.

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