गया: शहर के नगर प्रखंड चंदौती अंतर्गत कोसडीहरा गांव के ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बार-बार एक ही गांव की भूमि को अधिग्रहण किये जाने का कड़ा विरोध (Villagers Protest Against Land Acquisition) किया. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे अधिकारियों के समक्ष ग्रामीण जमीन पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. ग्रामीणों की एकजुटता को देखकर पुलिसकर्मी भी बैकफुट पर आ गए. जिसके बाद मौके पर पहुंचे वरीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को जिलाधिकारी से वार्ता करने की सलाह दी.डीएम से मिला ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल: जिसके बाद ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल गया के जिलाधिकारी डॉ एसएम त्यागराजन से मिला. जिलाधिकारी के निर्देश के बाद पुलिसकर्मियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा. कोसडीहरा गांव निवासी राज रंजन सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2012 में गांव की कुछ भूमि का सरकार ने अधिग्रहण किया था. उक्त भूमि पर अधिकारियों का प्रशिक्षण संस्थान खोला जाना है. लगातार चार बार हमलोग अपनी भूमि दे चुके हैं. बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी और भूमि अधिग्रहण करने को लेकर दबाव बना रहे हैं.पुराने रेट से दिया जा रहा मुआवजा: ग्रामीणों के अनुसार पुराने रेट के हिसाब से जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है. जो कहीं से सही नहीं है. वर्तमान समय में उक्त भूमि का रेट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. उनकी मांग है कि उक्त भूमि का हमें उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि हम लोग भी अपना जीवन यापन कर सके. अगर सरकार लगातार हमारी भूमि का अधिग्रहण करती रही तो हमलोग और हमारे बच्चे कहां जाएंगे. गांव में आए अधिकारी भूमि अधिग्रहण करने के लिए दबाव बना रहे हैं. जिसके बाद हमलोग जिलाधिकारी से मिलने गए.डीएम के आदेश पर लौटा पुलिस: जिलाधिकारी ने आगे बैठक कर बीच का रास्ता निकालने की बात कही है. जिसके बाद गांव में आए पुलिसकर्मी एवं अधिकारी वापस लौट गए हैं. ग्रामीण अपनी भूमि का कमर्शियल रेट के हिसाब से मुआवजा चाहते हैं. इससे पहले आज अचानक सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी गांव पहुंचे थे. उनके साथ नगर प्रखंड चंदौती के अंचलाधिकारी राजीव रंजन, एडीएम एवं मगध मेडिकल थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सहित अन्य कई अधिकारी भी शामिल थे. वे लोग जेसीबी चलाकर पिलर गाड़ने की कवायद करने लगे. जानकारी मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी.
गांव की जमीन चार बार अधिग्रहित: गौरतलब है कि यह मामला पटना हाईकोर्ट में चल रहा है. कोसडीहरा गांव का भूखंड मात्र 365 एकड़ का रकवा है. पूर्व में सरकार चार बार गांव की जमीन अधिग्रहित कर चुकी है. अब पांचवी बार प्रशासनिक अधिकारी जमीन लेना चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब सारी जमीन ही चली जाएगी तो आखिर हम लोग कहां रहेंगे? हमारी मांग है कि बार-बार एक ही गांव की भूमि का अधिग्रहण बंद किया जाए. साथ ही कोर्ट का आदेश आने तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं किया जाए.