वायु प्रदूषण से होने वाले रोगों का अध्ययन शुरू

Update: 2023-05-30 11:00 GMT

गया न्यूज़: बिहार में वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का अध्ययन शुरू हो गया है. राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में आने वाले मरीजों में वैसी बीमारियों की पहचान की जा रही है जो वायु प्रदूषण से होती हैं. इसमें विशेषकर श्वांस रोग से संबंधित मरीजों की प्रकृति का अध्ययन किया जा रहा है.

दरअसल जलवायु परिवर्तन में वायु प्रदूषण का अहम हिस्सा है. वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां हो रही है. इसलिए तय हुआ कि वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का अध्ययन किया जाए. इसके लिए पटना के चार मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एनएमसीएच और एम्स का चयन किया गया. इसके अलावा गया का एनएमसीएच और मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच का चयन किया गया है. इन छह मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों में वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का अध्ययन किया जा रहा है. अध्ययन में यह देखा जा रहा है कि जिस इलाके से मरीज आ रहे हैं, वहां वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है. इसके लिए अस्पताल प्रशासन संबंधित विभाग से वायु प्रदूषण का आंकड़ा भी प्राप्त करेगा. एक महीने में औसतन कितने मरीज आ रहे हैं. एक महीने के बाद यह देखा जाएगा कि अगले महीने कितने लोग आए. आंकड़ा तैयार होने के बाद इससे निबटने के लिए योजना बनेगी.

स्माल सेल लंग्स कैंसर (एससीएलसी) प्रदूषण और धूम्रपान के कारण होता है. इसका पता तब चलता है, जब एससीएलसी शरीर के विभिन्न हिस्सों में ज्यादा फैल चुका होता है. साथ ही नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) तीन प्रकार के होते हैं. एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा.

दिल का दौरा

विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. जहरीली हवा के महीन कण पीएम 2.5 खून में प्रवेश कर जाते हैं. इससे धमनियों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.

अस्थमा

वायु प्रदूषण से सबसे अधिक लोग अस्थमा के शिकार होते हैं. यह एक श्वसन संबंधी रोग है, जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है. सीने में दबाव महसूस होता है और खांसी भी होती है. ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है. ये रुकावट एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है. कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है.

तीव्र श्वसन संक्रमण

श्वसन तंत्र के तीव्र संक्रमण रोग से बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती है. इससे सांस लेने में सहायक अंग नाक, गला और फेफड़ें संक्रमित हो जाते हैं. इस बीमारी से बच्चे अधिक शिकार होते हैं. इस बीमारी से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु सबसे अधिक होती है.

सीओपीडी

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सांस संबंधी बीमारी है, जिसमें रोगी को सांस लेने में मुश्किल होती है. यह बेहद खतरनाक होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो सीओपीडी से अधिक लोग मरते हैं.

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