लोहार जाति से छिना अनुसूचित जनजाति का दर्जा, बिहार सरकार ने जारी किया आदेश
बिहार की राजधानी पटना से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है.
पटना. बिहार की राजधानी पटना से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है. बिहार सरकार ने लोहार जाति से अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes-ST) का दर्जा छीन लिया है. प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह फैसला किया है. इस बाबत गुरुवार को आदेश भी जारी कर दिया गया है. साथ ही लोहार जाति को अनुसूचिज जनजाति की श्रेणी से निकालने के फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश भी दिया गया है. राज्य सरकार के इस आदेश के बाद लोहार जाति को एसटी श्रेणी के तहत मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं निरस्त हो जाएंगी. लोहार जाति को बिहार में अब अनुसूचित जनजाति की सुविधाएं नहीं मिलेंगी.
बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से हटाने का आदेश जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा लोहार जाति को दी गई अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागों के साथ-साथ प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी और विभिन्न आयोग और कार्यालय प्रधान को पत्र लिखा गया है. बिहार में लोहार जाति को साल 2016 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी से हटाकर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था. लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने के साथ ही अन्य सभी सुविधाएं भी देने का आदेश जारी किया गया था.
राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
लोहार जाति को अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी से हटाकर एसटी कैटेगरी में शामिल करने के प्रदेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुनील कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार और अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2022 को अपना फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के साल 2016 के आदेश को निरस्त कर दिया. राज्य सरकार के आदेश में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी वाली सुविधाएं दी जा रही थीं. अब ये सुविधाएं निरस्त हो गई हैं.
प्रमाण पत्र अमान्य
सामान्य प्रशासन विभाग के ताजा फैसले के अनुसार, लोहार जाति को अब अन्य पिछड़े वर्गों के तहत आने वाली अन्य जातियों की तरह ही सुविधाएं दी जाएंगी. सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के बाद लोहार जाति के लोगों का अनुसूचित जनजाति के तहत जारी सभी प्रमाण पत्र अमान्य हो गए हैं. इसके साथ ही उनको मिलने वाली सारी सुविधाओं पर भी रोक लगा दी गई है. अब लोहार जाति दूसरी पिछड़ी जातियों की तरह एनेक्सचर वन में शामिल हो गई है.