सृजन घोटाला केस: CBI ने अपर्णा वर्मा, राजरानी वर्मा और जसीमा खातून को किया गिरफ्तार, मनोरमा देवी से भी थे संबंध

बिहार के भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामला

Update: 2021-11-30 16:46 GMT
बिहार के भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाला (Srijan scam) मामले में सीबीआई (CBI) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की है. सीबीआई ने मामले में तीन आरोपी अपर्णा वर्मा, राजरानी वर्मा और जसीमा खातून को गिरफ्तार कर लिया है, गिरफ्तारी के बाद इन्हें कोर्ट में पेश किया गया.
कोर्ट ने इन सबके खिलाफ 16 फरवरी को गैर जमानती वारंट जारी किया था. इसके बाद अपर्णा और राजरानी की गिरफ्तारी भागलपुर के सबौर जबकि जसीमा खातून को साहेबगंज से गिरफ्त में लिया गया. इससे पहले भी सीबीआई इनके घर पर गिरफ्तारी करने पहुंची थी, लेकिन तब ये सभी पीछे के दरवाजे से फरार हो गए थे.
मनोरमा देवी से भी थे संबंध
तीनों आरोपित सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. सबौर की प्रबंधकारिणी सदस्य थीं. इनके संबंध घोटाले की मास्‍टरमाइंड भागलपुर की मौसी मनोरमा देवी से भी थे. सीबीआई को उम्‍मीद है कि गिरफ्तार की गईं तीनों महिलाओं से उन्‍हें सृजन घोटाले के मामले में अहम जानकारी मिल सकती है.
महिला उत्थान के नाम पर लूट
बता दें कि सृजन घोटाले में दिल्ली और पटना CBI ने पहले से करीब दो दर्जन प्राथमिकी दर्ज कर रखी हैं, और सभी मामलों की जांच कर रही है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय भी जांच कर रही है. बिहार के भागलपुर जिले के सबौर में गरीब और नि:सहाय महिलाओं के उत्थान के लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की शुरुआत की गई थी. लेकिन इसके आड़ में घोटाले पर घोटाले किए गए. इसकी सुरुआत नजारत शाखा से. इसमें 16 दिसंबर, 2003 से लेकर 31 जुलाई, 2017 तक नजारत के खजाने से पैसे की अवैध निकासी होती रही. इसके बाद जिला पार्षद, फिर सहरसा, भागलपुर और बांका भू-अर्जन कार्यालय, कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के खातों से अवैध रूप से मोटी रकम की निकासी की गई.
चेक बाउंस होने का बाद सामने आया मामला
जब 2017 में भागलपुर के डीएम की सिग्नेचर वाली चेक खाते में पैसे नहीं यह बता कर वापस कर दिया. जबकि जिलाधिकारी को जानकारी थी कि खाते में पर्याप्त राशि हैं. चेक लोटने के बाद डीएम ने जब स्थानीय स्तर पर जांच कराई तो यह जानकारी सामने आई की दोनों सरकारी काते में पैसे नहीं है. इसके बाद यह जानकारी तत्काल सरकार को भेजी गई. इसके बाद घोटाले की परत दर परत खुलनी शुरू हो गई. इसी कड़ी में बिहार सरकार ने पहले आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराई बाद में मामले के राजनीतिक तूल पकड़ने पर बिहार सरकार ने CBI से जांच की अपील की थी. इसके बाद CBI ने जांच शुरू की.
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