रोहतास न्यूज़: अदालत की मांग पर गलत रिपोर्ट पेश करने पर रोहतास एसपी और नोखा थानाध्यक्ष पर शिकंजा कसता जा रहा है.
मामले में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी निवेदिता की अदालत ने रोहतास एसपी व नोखा थानाध्यक्ष को सात दिनों की और मोहलत दी है. इन सात दिनों में उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश नहीं लाने पर मामले में कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगी. हालांकि अदालत में एसपी का पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता पेश हुए थे. उनका कहना था कि आदेश के विरूद्ध रिविजन फाइल करना है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस आदेश के विरूद्ध अपील व रिविजन मान्य नहीं है. हाईकोर्ट में रिट याचिका ही दायर करनी होगी.
बताया जाता है कि अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में नोखा थाना कांड संख्या 48/2016 के आरोपित बघैला थाना क्षेत्र के बरैछा निवासी शिवमोहन गिरी के आपराधिक इतिहास की मांग की थी. 29 मार्च तक प्रतिवदेन नहीं देने पर कोर्ट ने कारण पृच्छा नोटिस जारी किया था.
बाद में 10 अप्रैल को एसपी द्वारा कारण पृच्छा का जवाब दिया गया. जिसे कोर्ट द्वारा खारिज किया गया था. कोर्ट का कहना था कि एसपी द्वारा प्रतिवेदन में बताया गया है कि आरोपित पर इस केस के अलावा कोई केस नहीं है, जबकि आरोपित ने अपने शपथ पत्र में पूर्व के पांच केस का जिक्र किया है.
ऐसे में प्रबल संभावना है कि एसपी व नोखा थानाध्यक्ष आरोपित के आपराधिक इतिहास को छुपाना चाहते हैं. साथ ही कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की थी.
कहा था कि इसके लिए सीआरपीसी की धारा 340 के तहत प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है. एसपी रोहतास व नोखा थानाध्यक्ष और गलत रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार रोहतास के सभी पुलिस अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 176 और 177 के तहत मुकदमा दर्ज करने या मुकदमा चलाने के लिए प्रारंभिक जांच की आवश्यकता है.
अदालत ने एसपी व नोखा थानाध्यक्ष को बयान दर्ज कराने के लिए अदालत में सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया था. साथ ही हर्जाना भी लगाया था.