खरीफ फसल सत्र के लिए नहीं हो पायी मृदा जांच

Update: 2023-07-28 04:30 GMT

गया न्यूज़: बेहतर फसल के लिए मिट्टी का स्वास्थ्य जानना जरूरी है. अगर मिट्टी अस्वस्थ है, तो उसका इलाज करना जरूरी है, तभी बेहतर फसल होगी. इस बात को केंद्र में रखकर हर साल मृदा जांच होती है. जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है, लेकिन इस बार नौ हजार मृदा सैंपल की जांच किए बगैर धान की खेती होने जा रही है. जी हां, गया जिले में इस बार खरीफ फसल के लिए मिट्टी की जांच कराई ही नहीं गई.

एक फीसदी भी जांच नहीं हर साल फसल लगाने से पहले मृदा जांच होती है. मिट्टी की स्थिति जानने की कोशिश होती है. जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है. यह कार्ड तीन से चार साल तक के लिए रहता है. सत्र 2023-24 के लिए कुल 8988 जांच करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक सिर्फ 1250 सैंपल ही इकट्ठा हुआ है. इसमें सिर्फ 44 को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया. लेकिन अब तक एक भी सैंपल की जांच नहीं हो पायी है और न ही एक भी किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया है. इस तरह मृदा जांच के मामले में खरीफ सत्र का रिकॉर्ड शून्य हो गया है. इसके नुकसान का अंदाजा इससे लगा लीजिए कि एक सैंपल 10 हेक्टेयर ग्रीड का होता है. इस तरह करीब 90 हजार हेक्टेयर भूमि की मिट्टी जांच नहीं हो पायी है. जबकि वर्ष 2022-23 में भी मृदा जांच कराई गई थी. कुल 16000 लक्ष्य रखा गया था. लक्ष्य से ज्यादा कुल 16870 सैंपल संग्रहित हुआ था और सभी सैंपलों की जांच हुई थी. आखिर में कुल 35605 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया था. लेकिन खरीफ सत्र में एक भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड नहीं बन पाया.

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