Siwan: हजार स्कूलों में सब्जी और फलों के पौधे लगेंगे

जिलों को बरसात में पोषण वाटिका विकसित करने का निर्देश

Update: 2024-07-05 05:00 GMT

बिहार: इस साल राज्य के हजार प्रारंभिक स्कूलों में पोषण वाटिका विकसित होगी. इन स्कूलों के परिसर में जैविक तरीके साग-सब्जियों और फलों की खेती की जाएगी. इससे एक तरफ जहां बच्चों में खेती की समझ विकसित होगी, वहीं मध्याह्न भोजन में इन सब्जियों-फलों को शामिल किया जाएगा.

इससे बच्चों को पोषण भी मिलेगा. बरसात के मौसम में इन स्कूलों में पोषण वाटिका विकसित करने को लेकर मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्र ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया है. जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि सभी जिलों के लगभग 30 प्रतिशत वैसे स्कूलों का चयन किया गया है, जहां पर पोषण वाटिका के लिए जगह उपलब्ध है. बरसात का मौसम आने वाला है. इस मौसम में वातावरण में नमी की अधिकता होने के कारण वाटिका का निर्माण आसानी से किया जा सकता है. पोषणा वाटिक विकसित करने के लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन योजना) को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. जिलों को निर्देश है कि स्कूल स्तर पर भी एक शिक्षक को इस कार्य के लिए नामित करें, जिसकी देख-रेख में पोषणा वाटिका बनेगी. फीट चौड़े और इतनी ही लंबाई के क्षेत्र में पोषण वाटिका बनना है. विभाग ने यह भी कहा है कि सघन आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के वैसे स्कूल जहां पर्याप्त भूमि नहीं है, वहां प्लास्टिक के बर्तन और कंटेनर में मिट्टी भरकर सब्जी उगायी जा सकती है. जिलों को निर्देश है कि कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर बीज, पौधा सस्ती दर लिया जा सकता है.

इन पौधों को प्राथमिकता: पपीता, केला, सहजन, कटहल, अमरूद, नींबू, करी पत्ता, आंवला, भिंडी, बोदी, कोहड़ा, खीरा, लौकी, नेनुआ, तरोई, पोंई साग, टमाटर, बैगन आदि.

छात्र-छात्राओं को वाटिका में सहभागी बनाया जाएगा

जिलों को यह भी निर्देश है कि कक्षा छह से आठ के छात्र-छात्राओं को पोषण वाटिका में सहभागी बनाया जाएगा. साथ ही घरों में भी पोषण वाटिका के निर्माण के लिए प्रेरित किया जाएगा. चेतना सत्र में हर पोषण एवं स्वास्थ्य, स्वच्छता, आहार विविधता आदि बिंदुओं पर बच्चों के बीच चर्चा की जाएगी. वहीं, शिक्षकों के द्वारा बाल संसद एवं मीना मंच के बच्चों के बीच बैठक कर पोषण के महत्व पर चर्चा की जाएगी.

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