सिवान: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा Samastipur के वैज्ञानिकों ने जलवायु अनुकूल खेती पर शोध किया है.
शोध के क्रम में यह बात सामने आई है कि जलवायु अनुकूल खेती से किसानों की आमदनी में ढाई गुना से अधिक वृद्धि देखी ग्रई, वहीं शोध के क्रम में यह भी जानकारी हासिल हुई कि किसान धान की मेंड़ पर अरहर की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. बताते हैं कि पूसा विश्वविद्यालय के जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केन्द्र द्वारा ग्यारह जिले के लगभग साठ गांवों में शोध किया जा रहा है. इसी के तहत बिहार सरकार द्वारा वित्तीय पोषित परियोजना व डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर द्वारा संचालित परियोजना जल जीवन हरियाली, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का संचालन सीवान जिले के चयनित गांव में हो रहा है. गोरेयाकोठी प्रखंड के Saidpura and Kaladumra, Bhopatpur Bharthiya of Lakdi Nabiganj, Siktia of Maharajganj and Ramgarh of Daraunda block में इसके तहत कार्य हो रहा है. चयनित गांवों में धान 115 ड़, मक्का 250 ड़, सोयाबीन 30 ड़, अरहर 50 ड़, श्री अन्न 65 ड़ मक्का व सोयाबीन 50 ड़ जबकि सूर्यमुखी की 35 ड़ का लक्ष्य रखा गया है.
इस परियोजना के द्वारा गांव से लगभग 900 चयनित किसानों के प्रक्षेत्र पर तीनों ऋतुओं में रबी 623 ड़, खरीफ 595 ड़ व जायद में 350 ड़ प्रक्षेत्र पर तकनीकी प्रदर्शन, उर्वरक प्रबंधक, शून्य जुताई विधि द्वारा बुआई, मेढ़ विधि, सहफसली, धान की सीधी बुआई, जल प्रबंधन आदि तकनीक को अपनाकर जलवायु अनुकुल खेती हो रही है. इसमें किसान ज्यादातर धान, मक्का, अरहर, गेंहू, मंसूर, सरसों, मू्गं व श्री अन्न की खेती कर रहे हैं. इस परियोजना को बढ़ावा देने व इस संदर्भ में किसानों को अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित करने के साथ ही भ्रमण भी कराया जाता है. जलवायु अनुकूल खेती से किसानों की आमदनी में ढाई गुना से अधिक वृद्धि हुई है, वहीं, मिट्टी की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है. फसल पर अत्यधिक तापमान व बेमौसम बारिश, तूफान का असर भी कम देखने को मिला है.