मुरली पंचायत के भरना गांव में बाढ़ के पानी से स्थिति त्राहिमाम

Update: 2023-10-01 15:15 GMT
सहरसा। जिले के कहरा प्रखंड स्थित मुरली पंचायत के भरना गांव में बाढ़ का पानी गांव के घरों में घुसने से स्थिति त्राहिमाम बनी हुई है। वही स्कूल के चारों तरफ बाढ़ के पानी भरने से बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे हैं।ग्रामीण संजीव राय, विकेश कुमार, श्याम सुंदर राय, गणेश राय,राजकुमार राय,अनीता देवी,अनिता देवी,पार्वती देवी,कविता देवी ने बताया कि मुरली भरना क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। यहां आज तक कोई भी विकास कार्य किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा नहीं किया जाता है।
मुखिया विजय कुमार महतो ने बताया कि 19 हजार की आबादी वाला यह पंचायत मे लगभग 11000 मतदाता हैं।वही समूचे पंचायत में धेमुरा नदी का पानी चारो बगल भर जाने से खेत खलिहान सभी डूब चुके हैं। वहीं लोगों के घर घर में पानी घुस चुका है।उन्होंने बताया कि इस संबंध में अंचलाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी को बाढ़ पीड़ितों के लिए फसल मुआवजा एवं राहत चलाने की मांग की गई तो अधिकारियों ने बताया कि जिले में केवल चार प्रखंड ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना गया है।ऐसे में कहरा प्रखंड को बाढ़ग्रस्त इलाका नहीं मानते हुए कोई भी सहायता एवं सुविधा देने में असमर्थता व्यक्त की।
मुखिया श्री महतो ने बताया कि 3 साल पहले तक यहां दो जगह पर नाव चलती थी। जिस कारण लोगों को आवागमन में सुविधा मिलती थी। उन्होंने बताया कि सरकारी नाव की सुविधा नहीं रहने के कारण गांव के बहू बेटियां पानी में घास भूसा लाने के लिए मजबूर हैं। वहीं अन्य ग्रामीण राजू राय, कमल राय, श्रवण पटेल, विजय कुमार, घनश्याम पटेल, मुरारी महतो ने बताया कि वार्ड नंबर आठ में पेयजल की समस्या काफी गंभीर बनी हुई है।साथ ही शौच करने में लोगो को भारी मुसीबतो का सामना करना पड़ रहा है।वही इस पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना एवं शौचालय योजना के तहत कोई प्रगति नहीं है।
मुरली भरना में बाढ़ का पानी रहने के कारण लोग कष्ट में जी रहे हैं। वही रास्ता पर पानी रहने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच राहत चलाने, फसल क्षतिपूर्ति देने, सड़क एवं पुल का निर्माण करने तथा आवागमन की सुविधा के लिए सरकारी नाव की व्यवस्था बहाल किए जाने की मांग की है।ज्ञात हो कि मुरली भरना से बनगांव की दुरी मात्र पांच किलोमीटर की दूरी है लेकिन पुल व सीधी सड़क नही रहने कारण लोगों को पच्चीस किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ता है।
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