SC ने बिहार जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं को किया खारिज, कही ये बात
दिल्ली: बिहार की जातिगत जनगणना (caste census) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रमनाथ शामिल थे। पीठ ने कहा है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं होगी तो राज्य सरकार आरक्षण जैसी नीति सही तरीके से कैसे लागू कर पाएगी? इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाएं वापस लेने की अनुमति देते हुए उन्हें खारिज कर दिया। इसके साथ ही महागठबंधन को सर्वोच्य न्यालय के इस फैसले से बड़ी राहत मिली है।
कोर्ट ने कही ये बात
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा, हमें लगता है कि यह जनहित याचिका नहीं बल्कि पब्लिसिटी के मकसद से दायर की गई है। हम इन्हें नहीं सुनेंगे। आप सभी पटना हाईकोर्ट में जाएं। इस फैसले के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जाति आधारित जनगणना सभी पार्टियों की सहमति से हो रही है।
याचिका में क्या था
बिहार की जातिगत जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई थी। इस सभी में जनगणना को असंवैधानिक बताया गया था। अपने दावों में याचिकाकर्ताओं ने जिक्र किया था कि ये जनगणना संविधान के मूल ढ़ाचे के खिलाफ है। वहीं कोर्ट से अपील की गई थी कि इस तत्काल रोक लगाया जाएं।
7 जनवरी से शुरू है काम
काफी सियासी उठापटक के बाद बिहार सरकार ने 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का काम शुरू कर दिया गया है। सरकार पंचायत से जिला स्तर के सर्वे में मोबाइल एप से हर परिवार का जातिगत डेटा डिजिटल रूप में संकलित कर रही है। इसी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें जातिगत जनगणना की अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई थी।
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