Rohtas: अस्पताल से निपटारा स्थल तक मेडिकल कचरे की होगी निगरानी

सरकारी और निजी अस्पतालों को बार कोडिंग का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया

Update: 2024-12-27 07:10 GMT

रोहतास: सूबे में मेडिकल कचरेकी अस्पताल से निपटारा स्थल तक निगरानी की जाएगी। इसके लिए कचरा देते समय सरकारी और निजी अस्पतालों को बार कोडिंग का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने अस्पतालों के कचरे के निपटारा की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बार कोडिंग व्यवस्था शुरू की है। बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोजल सेंटर के वाहनों को अस्पतालों का कचरा देते समय बार कोडिंग उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है। बार कोडिंग की व्यवस्था लागू होने से अस्पतालों के कचरा का सही तरीके से प्रबंधन होगा। उपचार केन्द्रों पर वैज्ञानिक तरीके से निपटारा करने की पूरी प्रक्रिया की निगरानी होगी। अस्पताल से कितनी मात्रा में बायो कचरा उठा और उतनी ही मात्रा में उपचार केन्द्र पर पहुंचा इसे भी ट्रैक किया जा सकेगा। वाहन अस्पतालों में पहुंच रहा है कि नहीं, इसकी जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आसानी से मिल सकेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वैसे अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों को जिन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से निबंधन कराया है उन्हें बार कोडिंग का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।

प्रत्येक दिन 26000 किलोग्राम निकलता है बायो कचरा: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के आकड़ों के मुताबिक सूबे में प्रत्येक दिन अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों से 26000 किलो ग्राम बायो कचरा निकलता है। बोर्ड से निबंधित 23777 अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों से यह कचरा निकलता है। इसमें सिर्फ11000 हेल्थ सब सेंटर है। अबतक 30 फीसदी अस्पताल ही बार कोडिंग का उपयोग कर रहे हैं। सूबे में 4 बायो कचरा उपचार केन्द्र हैं। इन केन्द्रों में सूबे के 23777 अस्पतालों का कचरा पहुंचता है। पटना में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, भागलपुर में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, मुजफ्फरपुर में औद्योगिक क्षेत्र बेला में और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में है।

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