पटना: पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों को सेविका-सहायिका नहीं बनाये जाने के कानून को निरस्त करने के एकलपीठ के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के एकलपीठ ने राज्य सरकार के उस नियम को निरस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदार सेविका व सहायिका के पद पर बहाल नहीं हो सकते. कोर्ट ने आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका के चयन के लिए जारी मार्गदर्शिका को निरस्त कर दिया. इस आदेश की वैधता को अपील दायर कर चुनौती दी गई.
क्या थी मार्गदर्शिका पंचायत, प्रखंड, अंचल, अनुमंडल एवं जिला में पदस्थापित केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं अर्ध सरकारी के पुरुष कर्मचारी व पदाधिकारी की पत्नी, बहू एवं अन्य रिश्तेदार का चयन सेविका व सहायिका के पद पर नहीं किया जाएगा.
रिश्तेदार से तात्पर्य है कि मां, सौतेला, दत्तक पुत्र एवं पुत्री सहित बड़े भाई और छोटे भाई की पत्नी, पुत्री, बहन तथा इसके साथ केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार एवं अर्धसरकारी महिला कर्मचारी व पदाधिकारी के मामले में उनके पति के सहोदर भाई की पत्नी, बहु, पुत्री और ननद सेविका व सहायिका के पद पर चयन हेतु आरोग्य होगी. कोर्ट ने इस मार्गदर्शिका को निरस्त कर दिया.
फाइलेरिया डोज का सर्वेक्षण कार्य पूरा
आईजीआईएमएस की ओर से अरवल जिले में फाइलेरियारोधी दवा वितरण कार्य का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया.
सर्वेक्षण कार्य फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत किया गया. अस्पताल अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि इस वर्ष 10 फरवरी से राज्य के 24 जिलों में कार्यक्रम सम्पन्न हो चुका है. इन 24 जिलों में से 14 जिलों में दवाओं डीईसी और अल्बैंडाजोल और बाकी 10 जिलों में इन दवाओं के अतिरिक्त आइवरमेक्टिन की खुराक खिला दवा वितरण कार्यक्रम संपादित किया गया है.
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सभी चिकित्सा माहाविद्यालयों के सामुदायिक औषधि विभागों को इस कार्यक्रम के प्रभाव व पहुंच का सर्वेक्षण का दायित्व सौंपा गया है. इसी क्रम में आईजीआईएमएस को अरवल और सारण जिला का सर्वेक्षण कार्य सौंपा गया था. यह सर्वेक्षण कार्य 15 तक पूरा कर लिया जाएगा. डॉ. मंडल ने बताया कि नों जिले के चयनित प्रखंडों से - गांवों में इस तरह का सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है. कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. संजय कुमार और डॉ. ताजवर यास्मीन के नेतृत्व में प्रशिक्षित दस टीमों को सर्वेक्षण कार्य में लगाया गया है.