राम विलास पासवान की जयंती

Update: 2023-07-05 10:56 GMT

देश के प्रमुख दलित नेताओं में शुमार रहे राम विलास पासवान की आज यानी की 5 जुलाई को बर्थ एनिवर्सरी है। पासवान न सिर्फ बिहार की राजनीति बल्कि केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय थे। हालांकि उनके बाद अब बेटे चिराग पासवान राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। राम विलास पासवान के पास राजनीति का अच्छा-खासा तजुर्बा था। वह देश के पहले ऐसे नेता थे। जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। इसीलिए उन्हें राजनीति का ‘मौसम वैज्ञानिक’ भी कहा जाता था। ‘मौसम वैज्ञानिक’ कहे जाने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। वह राजनीति के एक माहिर खिलाड़ी थे। आइए जानते हैं उनके बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर राम विलास पासवान के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...

ऐसे शुरू किया राजनीतिक सफर

बता दें कि बिहार के खगड़िया जिले में 5 जुलाई 1946 को पूर्व एलजेपी अध्यक्ष राम विलास पासवान का जन्म हुआ था। पासवान को राजनीति विरासत में नहीं मिली थी। इसे उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर पाया था। वह काफी मिलनसार स्वभाव के थे। जिसके चलते उनकी हर दल में अच्छी पैठ थी। राम विलास पासवान बचपन से पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज थे। जिसके चलते उन्होंने बिहार प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर ली।

इसके बाद वह साल 1969 में डीएसपी बनें। राजनीति में आने का किस्सा बताते हुए राम विलास पासवान ने एक बार बताया था कि साल 1969 में जब वह डीएसपी बनने के साथ ही एमएलए चुने गए। तो इस दौरान उनके एक दोस्त ने उनसे सवाल किया कि क्या वह सरकार बनना चाहते हैं या नौकर बनना चाहते हैं। इसी सवाल के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला कर लिया। साल 1969 में वह पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। इस दौरान उन्होंने खगड़िया जिले की सुरक्षित सीट अलौती से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यहीं से पासवान के राजनीतिक सफर की शुरूआत हो गई। जिसके बाद उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया।

क्यों कहा जाता था 'मौसम वैज्ञानिक'

राम विलास पासवान चुनाव से पहले ही जान जाते थे कि कौन सी पार्टी की हवा चल रही है और कौन सी पार्टी सत्ता में आने वाली है। इसी माहौल को देखते हुए वह किसी न किसी पार्टी से गठबंधन कर हर बार सरकार में बने रहते थे। इसी कारण वह इकलौते ऐसे राजनेता है, जिन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। शायद ही कोई ऐसा मौका रहा हो, जब वह केंद्र सरकार में शामिल न रहे हों। फिर चाहे यूपीए की सरकार रही हो या फिर एनडीए की या फिर तीसरे मोर्चे की। राम विलास पासवान ने सभी सरकारों में मंत्री पद पर रहे।

बताया जाता है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पहली बार पासवान को राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' कहकर संबोधित किया था। साल 1989 में वह पहली बार वीपी सिंह की सरकार में मंत्री बनें। फिर साल 1996 में एचडी देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रेल मंत्री के पद पर रहे। वहीं साल 1999 में वह बाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में संचार मंत्री बने और साल 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे। वहीं पीएम मोदी की नेतृत्व में दोबारा एनडीए की सरकार बनने पर पासवान खाद्य आपूर्ति मंत्री बनें और साल2019 में दोबारा एनडीए सरकार बनने पर वह कैबिनेट मंत्री बने।

मौत

राम विलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वहीं उनके हृदय की दो बार सर्जरी हुई थी और वह हफ्तों से बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। जिसके बाद 08 अक्टूबर 2020 को 74 साल की उम्र में रामविलास पासवान का निधन हो गया था।

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