बेगूसराय न्यूज़: एनसीईआरटी की किताब से निजी प्रकाशन की किताब दस गुना तक महंगी है. कोरोना महामारी से पहले की तुलना में किताबों के मूल्य में दो से तीन गुना तक वृद्धि हुई है. निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावक स्कूल के फीस के बोझ से पहले दबे होते हैं. ऊपर से किताब-कॉपी का खर्च उनकी परेशानी को और बढ़ा देता है. निजी स्कूलों में नर्सरी की कक्षा में एडमिशन कराने वाले अभिभावकों को दो से तीन हजार की स्टेशनरी सामग्री लेनी पड़ती है. दसवीं तक पहुंचते-पहुंचते सिर्फ किताब का दाम पांच हजार से अधिक हो जाता है. ऐसे में अभिभावकों की पीड़ा समझी जा सकती है.
अभिभावकों का कहना है कि वर्ग प्रथम से आठवीं तक की कक्षा में एनसीईआरटी किताब का सेट दो सौ से तीन सौ रुपए में आ जाता है. वहीं निजी प्रकाशन की किताबों का सेट छह सौ रुपए तक में आता है. वहीं नौवीं व दसवीं में मैथ की किताब 145 रुपए तक में आ जाती है. इसी तरह साइंस की किताब भी 145 रुपए में आती है. अभिभावकों का कहना है कि निजी प्रकाशन की किताब चलाने के लिए स्कूल प्रबंधकों को कमीशन की मोटी राशि उपलब्ध कराई जाती है. यही नहीं हर साल अलग-अलग निजी प्रकाशन की किताब चलाई जाती है. ताकि वो किताब किसी अन्य विद्यार्थी के उपयोग में नहीं आ सके.
निजी प्रकाशन की किताब में अभ्यास के कंटेंट ज्यादा इस बाबत बेगूसराय प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि निजी प्रकाशन की किताब को चलाने के लिए कमीशनखोरी की बात सुनी सुनाई है. इसके कोई प्रमाण नहीं हैं. कहा कि सरकार को निजी प्रकाशकों को किताब का मूल्य निर्धारण के लिए सक्षम प्राधिकार का गठन करना चाहिए. निजी प्रकाशन की किताब चलाये जाने के सवाल पर कहा कि एनसीईआरटी की किताब में कुछ चीजें उलझाने वाली रहती है. निजी प्रकाशन की किताब में अभ्यास के लिए पर्याप्त कंटेंट होते हैं. भाषा भी बोधगम्य व सुविधाजनक होती है. इससे शिक्षकों को पढ़ाने में सहूलियत होती है.