जेल में लाइब्रेरी की किताबें पढ़कर जीवन सुधार रहे कैदी
किताबों का अध्ययन लाता है जीवन में निखार
सिवान: लाइब्रेरी में रखी 9 सौ पुस्तकें मंडलकारा के बंदियों के जीवन को संवारने में लगी हैं.
विभिन्न कारणों से मंडलकारा में रह रहे बंदी इन पुस्तकों को पढ़कर अपने जीवन में बदलाव, चिन्तन में वृद्धि और आचरण में भी शुद्धि ला रहे हैं. लाइब्रेरी की सेवा इन बंदियों को सुबह के आठ बजे से शाम के चार बजे तक मिल रही है. जेल प्रशासन की ओर से बताया गया कि उम्र व रुचि के लिहाज से लाइब्रेरी में महापुरुषों की जीवनी, आध्यात्मिक, सामाजिक जीवन से जुड़े, धार्मिक व शैक्षणिक पुस्तकों का समावेश किया गया है. अधिकतर बंदी लाइब्रेरी में आकर ही पुस्तकों का अध्ययन करते हैं जबकि कई पुस्तकों को अपने वार्ड में ले जाकर भी पढ़ते हैं. मंडलकारा के बंदियों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में लाइब्रेरी काफी मददगार साबित होती है.
क्या कहते हैं मंडलकाराधीक्षक
मंडलकाराधीक्षक संजीव कुमार ने बताया कि लाइब्रेरी से बंदियों के जीवन में कई तरह के साकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. पुस्तकों के अध्ययन के बाद बंदियों में चेतना, सोचने व समझने की शक्ति में काफी वृद्धि होती है. हमारा प्रयास रहता है कि बंदियों को इन तरह-तरह के मार्गों के जरिए समाज के मुख्य धारा से जोड़कर रखा जाए. इस कारण लाइब्रेरी में सभी तरह की पुस्तकें रखी गयी हैं.
किताबों का अध्ययन लाता है जीवन में निखार
जेलर कृष्णा झा ने बताया कि अच्छी उपन्यास, किसी प्रभावशाली व्यक्ति की जीवनी, ज्ञानपरक कहानियों का अध्ययन मानव के व्यक्तित्व में निखार ला सकती हैं. इतना ही नहीं अच्छी व मनोरंजक पुस्तकें परेशानी, थकान व चिंता भी दूर करती हैं. व्यक्ति के सोचने व समझने का दायरा भी बढ़ता है इसलिए सभी को किताबों का अध्ययन करना चाहिए.