प्रशांत किशोर की नीतीश को खुली चुनौती : किसी भी गांव में पैदल चलकर दिखा दें
मोतिहारी (आईएएनएस)| चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'समाधान यात्रा' शुरू होने से पहले बुधवार को चुनौती देते हुए कहा कि 'अगर उनमें हिम्मत है तो अपनी ही पसंद के किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें'। बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में जुटे प्रशांत किशोर इन दिनों अपनी 'जन सुराज पदयात्रा' पर हैं। यात्रा के 95 वें दिन उन्होंने पूर्वी चंपारण के चकिया में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार की प्रस्तावित यात्रा उनकी 14वीं यात्रा है। वे प्रशासनिक काम को यात्रा का नाम दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार एक दिन पश्चिम चंपारण (बेतिया) में रुकेंगे, जिसमें कुछ सरकारी अफसरों और चुनिंदा लोगों से मिलेंगे। मुख्यमंत्री इस यात्रा के दौरान जनता से कोई सरोकार नहीं करेंगे।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार उन्हीं अफसरों से मिलेंगे, जिनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पटना से बात करते हैं। किशोर ने कहा कि लोग बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के आने से पहले प्रसाशन द्वारा लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है।
उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या पटना से किसी दूसरे जिलों में उड़कर आना और फिर रात में पटना चले जाने को आप यात्रा बोल सकते हैं? मुख्यमंत्री का सरकारी बंगले से निकल जाने को यात्रा नहीं कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि नीतीश अब उम्र के इस पड़ाव पर सामाजिक, राजनीतिक तौर पर अकेले पड़ गए हैं, जहां वे इस आशा में हैं कि किसी तरह जनता की आंखों में धूल झोंककर वोट हासिल कर लें और सत्ता में बने रहें।
किसानों की समस्याओं पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आज किसानों की सबसे बड़ी समस्या खाद-बीज की अनुपलब्धता और कालाबाजारी है। यूरिया की कालाबाजारी इस हद तक है कि सुबह 4 बजे से महिलाओं को लाइन में लगना पड़ता है, उसके बावजूद उन्हें यूरिया नहीं उपलब्ध हो पाता।
प्रशांत किशोर ने बताया कि यूरिया कालाबाजारी के नेटवर्क से बिहार का यूरिया नेपाल शिफ्ट हो रहा है, जिसकी वजह से बिहार के किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है।
--आईएएनएस