लाउडस्पीकर पर सियासत, राज्य सरकार के मंत्री का सवाल- मस्जिद के मौलवी के लिए मानदेय तो मंदिर के पुजारी के लिए क्यों नहीं?

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Update: 2022-05-11 16:48 GMT

लाउडस्पीकर पर 'लाउड' सियासत के बाद अब बिहार के राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा ने जन्म ले लिया है. सीएम नीतीश कुमार के एक मंत्री ने मांग की है कि जब राज्य के मस्जिदों के मौलवी के लिए मानदेय और वेतन की व्यवस्था है, तो मध्य प्रदेश की तर्ज पर बिहार के मंदिर के पुजारी को वेतन और मानदेय क्यों नहीं. ये मांग बीजेपी नेता और सरकार में विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने उठाई है.

मंत्री प्रमोद कुमार ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार की तरफ से निबंधित मंदिर और मंदिर के जो पुजारी हैं, उन्हें वेतन दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ भी हो जाए मंदिर के पुजारियों को सरकार की ओर से वेतन देना ही चाहिए. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि जो मंदिर निबंधित हैं और जिसका अपना कोई बोर्ड या समिति है, वो कम से कम मंदिर के पुजारियों को वेतन देना सुनिश्चित करे. आपको बता दें कि बिहार में लगभग 10 हजार मस्जिद हैं. जिसमें इमाम और नमाज पढ़ाने वाले मौसवी को पांच हजार से 18 हजार प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई है.
जानकारी के मुताबिक राजधानी पटना की 100 मस्जिद सिया वक्फ बोर्ड के तहत निबंधित हैं. उसके अलावा ऐसी मस्जिदें जो वक्फ बोर्ड के अंतर्गत हैं, उनके मानदेय की व्यवस्था है. साथ ही बिहार सरकार की ओर से प्रति वर्ष तीन करोड़ का अनुदान दिया जाता है. अब बीजेपी इसी मसले को उठाकर बिहार में नया मुद्दा सामने ला रही है. जिसमें मंदिर के पुजारियों को वेतन के लिए सरकार कोई ना कोई अनुदान दे ताकि उन्हें भी मानदेय मिल सके.
बीजेपी के एक विधायक हरिभूषण ठाकुर ने मीडिया से कहा है कि अब मंदिरों और वहां के पुजारियों पर ध्यान देने की जरूरत है. अब तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नही दिया. अब भाजपा इसे सार्थक करने में जुटी है. हालांकि बिहार में धार्मिक न्यास बोर्ड में चार हजार मंदिर निबंधित हैं और चार हजार ऐसे हैं जिनकी निबंधन की प्रक्रिया चल रही है. इस मुद्दे को बीजेपी ने उठाकर सरकार को संकट में डालने का काम किया है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि लाउडस्पीकर मामले को नीतीश कुमार ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. अब बीजेपी ये मुद्दा उठाकर फिर से बिहार की सियासत को गर्माने में लगी है.
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