पटना (आईएएनएस)| बिहार में रामनवमी के बाद सासाराम और बिहारशरीफ में दो समूहों के बाद हुई हिंसक झड़प और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सासाराम दौरे के रद्द हो जाने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच, शाह के नवादा दौरे पर संबोधन के दौरान बिहार सरकार को इस मामले में आड़े हाथों लेना भी सत्ता पक्ष को नागवार गुजरा है। जिसके बाद सत्ताधारी दल मुखर हो गए।
बिहार में सत्ताधारी जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने सोमवार को कहा कि जुमलों और झूठे वादों के कारण भाजपा ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। चुनाव पूर्व जनता से किए गए वादों को सत्ता में पहुंचते जुमला कहते हैं, महंगाई पर चर्चा नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दूर करना तो छोड़िए सब सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा देना और देश के सबसे बड़े 81,000 करोड़ रुपए के कापोर्रेट घोटाले पर मौन व्रत धारण कर लेने वाली पार्टी की तरफ कोई देखेगा भी क्यों?
उन्होंने शाह के नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे बंद होने के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि आपके पास कोई आवेदन लेकर गया है क्या कभी? भाजपा के साथ जाने की सोचने की बात ही छोड़ दीजिए। भाजपा एक डूबती नाव है जिसका 2024 में डूबना तय है।
इधर, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि बिहार में सद्भाव बिगाड़ने की संघी कोशिश पर बिहार सरकार की पैनी नजर है।
उन्होंने आगे लिखा कि जिन राज्यों में भाजपा कमजोर है वहां बौखलाई हुई है। एक-एक उपद्रवी को चिन्हित कर कठोरतम कारवाई की जा रही है। भाईचारे को तोड़ने के किसी भी भाजपाई 'प्रयोग' का हमने हमेशा माकूल जवाब दिया है और देते रहेंगे।
इस बीच, भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं बिहार भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत खुश होंगे क्योंकि भाजपा सासाराम में सम्राट अशोक की जयंती नहीं मना पाई।
उन्होंने कहा कि सासाराम में राज्य सरकार के द्वारा प्रायोजित दंगा था। नीतीश कुमार ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया और भाजपा को सम्राट अशोक की जयंती मनाने से रोकने के लिए आम जनता के जान-माल को दांव पर लगा दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से अब बिहार का खुद का गृह जिला नहीं संभल रहा है।
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