सेक्स एक्सटॉर्शन पर एक्शन में पटना हाईकोर्टः टेलीकॉम कंपनियों को ये सख्त आदेश

पटना हाईकोर्ट ने लोगों के साथ अश्लील बातें कर उनसे पैसों की उगाही करने के मामले में साइबर अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।

Update: 2022-02-22 06:10 GMT

पटना हाईकोर्ट ने लोगों के साथ अश्लील बातें कर उनसे पैसों की उगाही करने के मामले में साइबर अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पैन इंडिया के तहत प्राथमिकी दर्ज करें। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। टेलीकॉम विभाग की ओर से जारी सर्कुलर का पालन हर हाल में करना होगा।

सोमवार को न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि भोले-भाले सभ्य लोग सेक्स एक्सटॉर्शन के शिकार हो रहे हैं। कोई भी सभ्य समाज के सदस्य अपनी बदनामी कराने के लिए उनके साथ घटी घटना को लेकर थाने में केस कराने नहीं जाएंगे। इस बात की पूरी जानकारी साइबर क्राइम में संलिप्त को पता है। जिसका फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं। यही नहीं कई थानेदार साइबर क्राइम का केस दर्ज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे थानेदार हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना के दोषी हैं। इनके खिलाफ अवमानना का केस शुरू किया जा सकता है
कौन थानेदार केस दर्ज करने में आनाकानी कर रहे, बताएंहाईकोर्ट ने सभी सेलुलर कंपनियों तथा बीएसएनएल को यह बताने को कहा है कि कौन-कौन थानेदार प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी कर रहे हैं। कोर्ट ने सूबे के सभी थानेदार को साइबर क्राइम से संबंधित केस को दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही सभी सेलुलर (टेलीकॉम) कम्पनियों को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 4 मार्च को दूरसंचार विभाग के मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का पक्ष जानने के लिए 11 मार्च की तिथि मुकर्रर की। सेलुलर कंपनी पर सुनवाई 7 मार्च तय की गई।
सीबीआई जांच का आदेश देने को बाध्य नहीं करेंकोर्ट ने प्री एक्टिवेटेड सिम की बिक्री पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ज्यादातर प्री एक्टिवेटेड सिम साइबर अपराधियों के पास कैसे चले जाते हैं। दूरसंचार विभाग कार्रवाई करने के बजाय चुपचाप बैठा रहता है, जबकि दूरसंचार विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी है। कोर्ट ने कहा कि यह कोई आम बात नहीं है। सभी की मिलीभगत है। बाध्य नहीं करें वरना सीबीआई जांच करने का आदेश जारी करने से कोर्ट पीछे नहीं हटेगा। डीजीपी की ओर से एक हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि तीन माह के भीतर अदालती आदेश का पालन कर दिया जायेगा। ईओयू ने बताया कि कई टेलीकॉम कंपनियां जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। कोर्ट ने ऐसी कंपिनयों को 7 मार्च तक जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

कई वकीलों ने कोर्ट को बताया कि कई थानों के थानेदार साइबर क्राइम से संबंधित केस दर्ज नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेऊर, रूपसपुर तथा रामकृष्णा नगर थाना साइबर क्राइम का केस दर्ज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने एसपी पश्चिमी को जांच कर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि रूपसपुर तथा रामकृष्णा नगर थाना को जमीन पर कब्जा दिलाने से फुर्सत मिले तब तो साइबर क्राइम का केस दर्ज करें। कोर्ट ने रूपसपुर थानेदार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने थानेदार को यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं प्राथमिकी दर्ज की गई। 7 मार्च तक जबाव देने का आदेश दिया है।कोर्ट को बताया गया कि साइबर अपराधियों ने चार माह के दौरान कई बार खाते से पैसे की निकासी कर ली। इसकी सूचना बैंक को दिये जाने के बाद बैंक ने कुछ रुपये खातेदार के खाते में वापस कर दिए। लेकिन कुछ समय बाद वह पैसा खातेदार के खाते से काट लिया। कोर्ट ने कहा कि बैंक के कर्मी की मिलीभगत से यह सब हो रहा है।


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