जेनेरिक दवा खरीदते समय दुकान पर लुट रहे मरीज
एक्सपर्ट सलाह कुछ कंपनियां दोनों बना रहीं
मुंगेर: ब्रैंडेड दवा के नाम पर अपनी जेब कटा रहे मरीज अब सस्ती दवाओं की आस में जेनेरिक दवा की दुकानों की तरफ रुख करने लगे हैं. लेकिन यहां पर मरीजों के साथ खेल हो रहा है. मरीज को प्रधानमंत्री जनौषधि केंद्र में लिस्टेड सस्ती दवाओं के देने के बजाय जेनेरिक दवा के दुकानदार मरीजों को ब्रैंडेड कंपनियों द्वारा बनाई गई महंगी जेनेरिक दवा को बेच देते हैं.
इन पर कीमत आमतौर पर लागत से बहुत ज्यादा तकरीबन ब्रैंडेड दवाओं की कीमत के बराबर ही प्रिंट होता है. कई दवा कंपनियां ब्रैंडेड एवं जेनेरिक दवा दोनों ही बनाती हैं. ब्रैंडेड कंपनियां अपनी जेनेरिक दवाओं को बाजार में लांच करती हैं. इसमें खेला ये होता है कि अगर किसी दवा की लागत 10 रुपये है तो उसपर एमआरपी 20 से 25 रुपये प्रिंट करके बाजार में उतार दिया जाता है. इन्हीं दवाओं को जेनेरिक दवा दुकानदार अपनी दुकानों में रखकर मरीजों को प्रधानमंत्री जनौषधि केंद्र की सस्ती दवा के नाम पर महंगी बेच दे रहे हैं. कंपनियां ये मनमानी करने में इसलिए भी सफल हो जा रही हैं, क्योंकि अभी भी देश में आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल 870 दवाओं में से करीब 35 प्रतिशत दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में नहीं हैं. ड्रग इंस्पेक्टर राजीव रंजन बताते हैं कि प्रधानमंत्री जनौषधि केंद्रों पर किसी भी कंपनी की ब्रैंडेड दवा की बात तो दूर उस कंपनी की जेनेरिक दवा भी बेच नहीं सकते हैं. एडिशनल ड्रग कंटोलर सुभाष राय कहते हैं कि प्रधानमंत्री जनौषधि केंद्र पर अन्य कंपनियों की जेनेरिक दवा नहीं रख सकते हैं. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी.
एक्सपर्ट सलाह कुछ कंपनियां दोनों बना रहीं
वरीय फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा कहते हैं कि कुछ कंपनियां, ब्रैंडेड व जेनेरिक दोनों तरह की दवा बनाती हैं. इसलिए ये दवा दुकानदार पर भी निर्भर करता है कि वह मरीज को किस कंपनी की दवा दें. ज्यादातर जेनेरिक दवाओं पर अंकित रेट वास्तविक रेट से कई गुना अधिक होते हैं. कुछ जेनेरिक दवा भी अपने ब्रैंड नाम से आती हैं. इसलिए इन्हें देखकर यह अंतर नहीं किया जा सकता कि कौन सी दवा जेनेरिक है और कौन सी ब्रैंडेड. इसके अलावा जेनेरिक दवाओं की दुकान पर प्रधानमंत्री जनौषधि में लिस्टेड सस्ती दवाएं भी रहती हैं.