जिले के 24 में से 11 घाटों की ही हो पायी नीलामी

Update: 2023-04-08 10:10 GMT

नालंदा न्यूज़: विभाग के निर्देश के अनुसार स्थल निरीक्षण के बाद जिले के 24 घाटों को बालू उठाव के लिए चिन्हित किया गया है. इनमें से छोटे-छोटे घाटों को मिलाकर क्लस्टर का निर्माण किया गया है. दो बार की नीलामी प्रक्रिया में 24 में से मात्र 11 घाटों की ही नीलामी हो पायी है. तीसरी बार की नीलामी की प्रक्रिया में किसी ने रूची नहीं दिखायी.

कोई भी संवेदक बाकी बचे 13 घाटों पर बोली लगाने के लिए सामने नहीं आया. जिन घाटों की नीलामी हुई है, उनसे भी बालू खनन की संभावना अभी नहीं दिख रही है. नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल से हरी झंडी मिलने के बाद ही इन घाटों से बालू का उठाव शुरू हो पाएगा.जिले में सरकारी रूप से बालू का खनन तीन साल से बंद है. दिसंबर 2019 में महादेव इन्क्लेव का कांट्रैक्ट खत्म हो गया. 2020 में बालू घाटों की नीलामी का प्रयास असफल हो गया. एक-दो को छोड़कर किसी ने भी बोली लगाने में रूचि नहीं दिखायी. एजेंसी के पास बालू का कुछ स्टॉक पड़ा था. उससे कुछ महीने तो काम चल गये. उसके बाद नालंदा बालू के लिए दूसरे जिलों पर निर्भर हो गया. करीब दो सालों से जिले में बालू की किल्लत है. इसका फायदा अवैध धंधेबाज उठा रहे हैं. जिले में बालू की आपूर्ति अवैध धंधे से ही हो रही है. धंधेबाज नदियों से रात के अंधेरे में बालू निकालकर चांदी काट रहे हैं. इसमें पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की भी मिलीभगत है. बोली नहीं लगाने का एक कारण अवैध धंधेबाज भी हैं.

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