महालया के मौके पर गंगा किनारे उमड़ा जनसैलाब, सोमवार को होगा कलश स्थापन
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बेगूसराय। मां भगवती की पूजा कर शक्ति पाने का व्रत नवरात्र सोमवार से शुरू हो रहा है। 26 सितम्बर को कलश स्थापन और मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ नवरात्र शुरू हो जाएगा। पूजा-अर्चना के लिए गंगाजल लेने गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। रविवार को महालया के अवसर पर पितृ विसर्जन एवं दुर्गा पूजा का जल लेने के लिए पावन गंगा तट सिमरिया घाट में सिर्फ बेगूसराय जिला से ही नहीं, दूरदराज से भी बड़ी संख्या में लोग जुट गए हैं। समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, लखीसराय, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, गया, जहानाबाद के अलावे नेपाल तक से लोग आ रहे हैं। रविवार को यहां एक लाख से अधिक लोगों ने गंगा स्नान और पूजन समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर जल ले अपने-अपने घरों के लिए रवाना हुए। सिमरिया में गंगा किनारे आने वालों की भीड़ रात से ही लगने लगी थी तथा दिन भर रुक-रुक कर सड़क जाम लगता रहा। हालांकि प्रशासन द्वारा एनएच पर थर्मल से लेकर सिमरिया प्रवेश द्वार तक पुलिस वालों की तैनाती की गई थी। अनिल निषाद सहित डीडीआरएफ के तमाम गोताखोर रबर बोट से गश्ती करने के अलावा घाट किनारे घूम-घूम कर लोगों को अधिक पानी में जाने से रोकते रहे।
पूजा को लेकर विशेष थीम पर पंडाल सजाए जा रहे हैं। पंडालों में कहीं अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर की झलक दिखेगी तो कहीं विश्वनाथ कॉरिडोर, मदुरई का मीनाक्षी मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर और जगन्नाथ पुरी का मंदिर दिखेगा। भगवती की पूजा अर्चना को लेकर बेगूसराय के तीन सौ से अधिक मंदिरों में कलाकार प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। ज्योतिष अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के संस्थापक पंडित आशुतोष झा ने बताया कि इस वर्ष शुभ फलाफल लेकर मां भगवती दुर्गा का आगमन हो रहा है। 26 सितम्बर को कलश स्थापन और माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू होगा। 27 को द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी, 28 को तृतीय स्वरूप चन्द्रघंटा, 29 को चतुर्थ स्वरूप कूष्माण्डा एवं 30 को पंचम स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा होगी। एक अक्टूबर को षष्ठ स्वरूप कात्यायनी की पूजा एवं बिल्व आमंत्रण होगा। दो अक्टूबर को सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा, दिन में पत्रिका प्रवेश, रात में निशा पूजा और जागरण होगा। तीन अक्टूबर को आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा एवं महाअष्टमी व्रत होगा। चार अक्टूबर को नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा, हवन, बलिदान एवं महाअष्टमी व्रत का पारण होगा। पांच अक्टूबर को विजयादशमी की सुबह अपराजिता पूजा, कलश विसर्जन, जयंती धारण और नवरात्र पारण के साथ नीलकंठ दर्शन करना चाहिए। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है तथा किसी भी दिशा में यात्रा की जा सकती है। उन्होंने बताया कि नवरात्र के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन और भगवती की लाल अरहुल के फूल से पूजा विशेष फलदायक होता है। फिलहाल रविवार को महालया के साथ ही पूरा वातावरण मां भगवती की भक्ति में लीन हो गया है।