अतिपिछड़ा आयोग की रिपोर्ट पोल खुलने के डर से सार्वजनिक नहीं की गई: सुशील कुमार मोदी

Update: 2022-12-02 14:25 GMT

पटना न्यूज़: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि अतिपिछड़ों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भरोसा नहीं रहा इसलिए राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान से संबंधित आधी-अधूरी रिपोर्ट आनन-फानन में तैयार करा ली गई और पोल खुलने के डर से इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। मोदी ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा निकाय चुनाव के मुद्दे पर पिछले 01 दिसंबर को सुनवाई की तारीख थी। फजीहत के डर से आयोग ने खानापूर्ति कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी। सर्वे भी जल्दबाजी में कराया गया।

उन्होंने कहा कि पूरा मामला उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में है। ऐसे में क्या सरकार गारंटी दे सकती है कि निकाय चुनाव फिर स्थगित नहीं होंगे। निकाय चुनाव को लेकर बिहार में संदेह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा सांसद ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट थी इसलिए निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने के बजाय अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को ही अधिसूचित कर नया टास्क सौंप दिया गया। मोदी ने कहा कि बिहार अतिपिछड़ा वर्ग आयोग उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश के अनुरूप नहीं है। यह विशेषज्ञ लोगों का निष्पक्ष और स्वतंत्र आयोग नहीं बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेताओं की एक कमेटी है, जिसने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के अनुसार रिपोर्ट तैयार कर दी।

आयोग के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। कई सदस्यों को रिपोर्ट सौंपे जाने की जानकारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भी स्वतंत्र नहीं रह गया है। यह बिहार सरकार के एक विभाग की तरह काम कर रहा है। 

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