डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड पाठॺक्रम से जुड़े डॉक्टरों का तबादला नहीं
जिलों के अस्पताल में डीएनबी कोर्स संचालन में मदद करेगा
मोतिहारी: राज्य में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) कोर्स से जुड़े डॉक्टरों का स्थानांतरण नहीं करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया गया है. जिला स्तर पर भी डीएनबी स्टेयरिंग कमेटी होगी, जो जिलों के अस्पताल में डीएनबी कोर्स संचालन में मदद करेगा.
डीएनबी पाठ्यक्रम जहां लागू किया जा रहा है, वहां की डीएनबी यूनिट सेटअप का प्रस्ताव दिया गया. कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में डीएनबी के बेहतर संचालन व्यवस्था देखने के लिए सीनियर स्वास्थ्य अधिकारियों को को भेजने का भी प्रस्ताव दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव सुधीर कुमार की अध्यक्षता में डीएनबी स्टेट लेवेल स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में यह तय किया गया. 201 में बनी स्टेट लेवल डीएनबी स्टेयरिंग कमेटी की यह पहली बैठक थी. डीएनबी से जुड़े सभी प्रस्ताव तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को दिया गया है. बैठक में तय किया गया कि डीएनबी से जुड़े फैकल्टी डॉक्टर का स्थानांतरण तभी किया जाए, जब उनकी जगह इससे जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित हो जाए. राज्यस्तर पर भी डीएनबी यूनिट सेटअप के लिए कहा गया. स्टेट लेवल की यूनिट में राज्य में जहां भी डीएनबी संचालित हैं, वहां से कोई समस्या या शिकायत है तो इस यहां भेजी जा सकती है. यह भी कहा गया कि अधिक से अधिक अस्पतालों को डीएनबी के लिए प्रस्ताव देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. बैठक में डीएनबी के राज्य सलाहकार प्रभाकर सिन्हा ने अब राज्य में डीएनबी से जुड़ी उपलब्धि का प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने बताया कि मोतिहारी, सीतामढ़ी और पटना के लोकनायक जयप्रकाश नारायण हड्डी अस्पताल में यह डीएनबी संचालित है.बैठक में मुजफ्फरपुर, पावापुरी, भागलपुर, मधेपुरा और पटना मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के साथ ही सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, नालंदा और सहरसा के सिविल सर्जन मौजूद थे.
तीन साल की डिग्री और दो साला का होता है डिप्लोमा
डीएनबी में डिग्री तीन वर्ष और डिप्लोमा दो वर्ष का होता है. इसके शुरू होने से बिहार तथा बिहार से बाहर एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र जिला सदर अस्पतालों में पढ़ने आएंगे. उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा.