नीति आयोग ने बिहार में एनीमिया की स्थिति पर जताई चिंता

Update: 2023-02-09 06:00 GMT

पटना न्यूज़: नीति आयोग ने बिहार में बच्चों व महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) पर चिंता जताई है. पिछले दिनों नालंदा व मुजफ्फरपुर का दौरा करने के बाद टीम के सदस्यों ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह एनीमिया से जुड़े कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से चलाए. गौरतलब है कि खून की कमी को कम करने के लिए सरकार की ओर से आयरन की गोली व फॉलिक एसिड सिरप का वितरण किया जाता है. दरअसल, एनीमिया को लेकर केंद्र सरकार की ओर से हर तीन महीने पर रिपोर्ट जारी की जाती है. सरकार एनीमिया का आकलन कई मानकों पर करती है. इसमें छह से 59 महीने तक के बच्चे से लेकर पांच से नौ साल, 10 से 19 साल तक के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं में खून का क्या स्तर है, इसका आकलन किया जाता है. सभी मानकों पर विश्लेषण के आधार पर राज्य व जिलों की रैंकिंग की जाती है. समग्रता में बिहार को 29.8 अंक दिया गया है जो ऑरेज ग्रुप में है. जबकि जिलावार रैंकिंग में पूर्णिया पहले पायदान पर है. हालांकि इस जिले का प्रदर्शन भी 50 फीसदी नहीं है. पूर्णिया का कुल अंक 47.7 ही है. दूसरे पायदान पर सुपौल है. सुपौल को 45.2 अंक तो तीसरे पायदान पर मधेपुरा है, जिसे 42.2 अंक दिया गया है. जबकि चौथे पायदान पर नालंदा है, जिसे 41.8 अंक तो पांचवें पायदान पर सीतामढ़ी को 39.6 अंक दिया गया है. वहीं सीतामढ़ी, रोहतास, गया, अररिया, शेखपुरा, कैमूर व गोपालगंज जिला ऐसा है, जिसे 33 फीसदी से अधिक अंक दिये गए हैं. बाकी जिलों को इससे कम अंक हैं. सबसे निचले स्थान पर पश्चिम चम्पारण है. इसे महज 18 अंक दिया गया है. नीचे से दूसरे पायदान पर मधुबनी को भी 18 तो तीसरे पायदान पर भागलपुर है जिसे मात्र 19.2 अंक दिया गया है. इसी तरह भोजपुर, पूर्वी चम्पारण, सीवान, बक्सर, जमुई, मुजफ्फरपुर, बांका, पटना, सहरसा जैसे जिले को रेड जोन में शामिल किया गया है. इन जिलों के बच्चे व महिलाओं में एक तिहाई में ही खून की पर्याप्ता मात्रा है जबकि बाकी दो-तिहाई महिलाएं एनीमिया से जूझ रही हैं.

सभी जिले को विशेष अभियान चलाने को कहा गया: केंद्र सरकार की रिपोर्ट के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी जिले को विशेष अभियान चलाने को कहा है. समिति की ओर से सभी सिविल सर्जन को पत्र भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि बच्चों व महिलाओं में खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन की गोली व फॉलिक एसिड सिरप का वितरण सही तरीके से किया जाए. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के साथ ही पढ़ाई नहीं करने वाले बच्चों के बीच भी सिरप/टैबलेट का वितरण किया जाए. गर्भवती महिलाओं के साथ ही दूध पिलाने वाली माताओं के बीच अभियान चलाकर दवाओं का वितरण हो. अस्पताल में उपचार के दौरान अगर खून की कमी पाई जाती है तो महिलाओं को चिकित्सकों की निगरानी में टैबलेट का वितरण किया जाए.

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