आपदा न्यूनीकरण के लिए जरूरी है प्रकृति संरक्षण और जागरुकता : महेश भारती
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बेगूसराय। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ने मनुष्य ही नहीं, पृथ्वी के जीवन चक्र को प्रभावित कर दिया है। आज मनुष्य फिर प्रकृति की ओर लौटने की कोशिश कर रहा है। काबर नेचर क्लब के संरक्षक महेश भारती ने यह बातें सोमवार को बिहार के एकलौते रामसर साइट काबर झील परिक्षेत्र के रजौड़ पंचायत भवन में सीड्स एवं वेटलैंड्स द्वारा आयोजित सामुदायिक प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए कही है। महेश भारती ने कहा कि पृथ्वी पर यदि प्रकृति के साथ तारत्म्य नहीं बनाया गया तो यहां के जीवन चक्र को बचाना मुश्किल होगा। बढ़ते प्रदूषण, घटते जंगल और नष्ट होते जैव विविधता ने प्रकृति एवं मनुष्य के बीच के सह अस्तित्व को समाप्त कर दिया है। पृथ्वी पर आनेवाले आपदा के न्यूनीकरण के लिए जागरुकता और प्रकृति संरक्षण जरूरी है। जल, मिट्टी, वायु, संरक्षण पर जोर देकर ही प्रकृति को नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी और प्रदूषण तथा घटते जंगल ने आपदा जोखिम को बढ़ाया है। आपदा से बचाव के लिए पूर्व तैयारी और जोखिम को कम करने के लिए त्वरित कार्यवाही कर इसे न्यूनतम किया जा सकता है। बाढ़, ठनका, अगलगी, बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा और मानव जनित आपदा को कम किया जा सकता है। बाढ़ से बचाव के लिए बांध और पक्का मकान से अगलगी के जोखिम कम हुए हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीड्स के विजय कुमार बबलू ने कहा कि प्रकृति स्वयं भी आपदा से बचाव करते रहती है। वह स्वयं भी समाधान खोज लेती है। कोरोना काल में आकाश का साफ रहना, स्वच्छ वायु और अन्य परिवर्तन प्रकृति में दृष्टिगोचर होने लगे, क्योंकि मनुष्य की सक्रियता स्थिर हो गई थी। मौके पर वीरेन्द्र कुमार, पप्पू पासवान, रिंकू यादव, विनोद कुमार, अनिल कुमार एवं रामनरेश यादव सहित अन्य उपस्थित थे।