नालंदा: नालंदा जिले में जिला सैनिक बोर्ड खोलने की आवाज संसद में गूंजी. सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने मामले को उठाया तो केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सहमति जतायी. कहा कि बोर्ड कार्यालय खोलने की तमाम शर्तें नालंदा पूरा करता है. ऐसे में सूबे की सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है. जैसे ही राज्य सरकार खोलने की जानकारी देगी, अपने हिस्से की राशि केन्द्र देने लगेगा.
केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि नालंदा में जिला सैनिक बोर्ड का कार्यालय खुलने से नवादा व शेखपुरा को भी सहूलियत होगी. इन जिलों को भी इसी कार्यालय से जोड़ दिया जाएगा. ताकि, शेखपुरा के सैनिक आश्रितों को मुंगेर व नवादा के लोगों को गया जाने से राहत मिलेगी. जबकि, वर्तमान में नालंदा के आश्रितों को किसी काम के लिए पटना की दौड़ लगानी पड़ रही है.
रक्षा राज्य मंत्री ने लिखित जवाब में कहा है कि भूतपूर्व सैनिकों और सेवारत/दिवंगत सेना कार्मिकों के परिवारों की संख्या 7,500 अथवा उससे अधिक होनी चाहिए. अगर यह संख्या जिले के पास है तो राज्य सरकार खुद नया जिला सैनिक बोर्ड (जेडएसबी) स्थापित कर सकती है. जबकि, नालंदा जिले में भूतपूर्व सैनिकों और सेवारत/दिवंगत कार्मिक परिवारों की संख्या 16 हजार 829 है. ऐसे में बोर्ड की स्थापना के लिए राज्य को केन्द्र सरकार से सहमति लेने की भी जरूरत नहीं है. स्थापना के बाद सिर्फ सूचना देनी होगी. ताकि, अपने हिस्से की राशि केन्द्र, राज्य सरकार को दे सके.
नालंदा में 3 यूआरसी सांसद ने पूछा था कि नालंदा जिले में कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) स्थापित करने की मंशा केन्द्र सरकार रखती है. जवाब में रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि नालंदा जिले में पहले से तीन यूनिट रन कैंटीन (यूआरसी) स्थापित हैं. इसके अलावा अन्य स्थानों पर यूआरसी खोलने का प्रस्ताव नहीं भेजा गया है. अगर प्रस्ताव आएगा तो उसपर जरूर विचार किया जाएगा. जबकि, पॉलीक्लीनिक खोलने की मांग को खारिज कर दिया.
क्या होता है जिला सैनिक बोर्ड सेवारत, सेवायुक्त व दिवंगत भारतीय सैनिकों और गैर-लड़ाकू सैनिकों व उनके आश्रितों के हितों को प्रभावित करने वाले मामलों के बारे में सलाह देने के लिए भारतीय सैनिक बोर्ड का गठन किया गया है. वर्ष 1975 में केन्द्र ने इसका नाम बदलकर केन्द्रीय सैनिक बोर्ड और राज्य तथा जिला स्तर पर राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड कर दिया है. जिला सैनिक बोर्ड जिलों में रह रहे भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं और उनके आश्रितों के पुनर्वास और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी है. देश में 34 राज्य सैनिक बोर्ड और 409 जिला सैनिक बोर्ड स्थापित हैं. वहीं बिहार राज्य में 12 जिला सैनिक बोर्ड स्थापित हैं. राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड की स्थापना पर होने वाला खर्च का वहन केन्द्र और राज्य करते हैं. अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख व हिमाचल प्रदेश के बोर्ड खर्च के लिए 7525 तो शेष राज्यों के लिए 6040 के आधार पर साझा किया जाता है.
जिलेवासियों की मांग पर उठायी आवाज लारनपुर निवासी व शोधार्थी विकास आनंद के साथ नालंदा एक्स-सर्विसमैन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष गोपाल नाथ साहू व अन्य की मांग को गंभीरता से लेते हुए सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने जिला सैनिक बोर्ड की नालंदा में स्थापना की आवाज संसद में उठायी.
सूबे में यहां हैं सैनिक बोर्ड:
1. पटना पटना, नालंदा.
2. भोजपुर भोजपुर, रोहतास व कैमूर.
3. छपरा छपरा.
4. गया गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद व अरवल.
5. मुजफ्फरपुर मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी व शिवहर.
6. मुंगेर मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा व जमुई.
7. दरभंगा दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर.
8. भागलपुर भागलपुर, बांका, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, सहरसा व मधेपुरा.
9. मोतिहारी पूर्वी चंपारण, प. चंपारण.
10. बक्सर बक्सर.
11. वैशाली वैशाली.
12. सीवान सीवान व गोपालगंज.