Motihari: आयुष्मान योजन की गति काफी धीमी हुई
प्रति दिन पचास हजार का टारगेट है
मोतिहारी: सरकार की योजना आयुष्मान योजन की गति काफी धीमी है. चाहे कार्ड बनाने का हो या आयुष्मान के तहत डॉक्टर का नर्सिंग होम के चयन का मामला हो. सात दिन से विशेष अभियान में अभी तक मात्र करीब सत्तर हजार कार्ड बनाया गया है. जबकि प्रति दिन पचास हजार का टारगेट है.
तीस तक कम से कम पांच से छह लाख गोल्डन कार्ड बनाना है. यहीं हाल नार्सिंग होम के चयन का है. मार्च में चयन के लिए भेजा गया फाइल अभी तक प्रशासन के ठंडे बस्ते में पड़ा है. बताते है कि चयन का आलम यह है की आठ साल में आठ नर्सिंग होम का चयन आयुष्मान कार्ड पर मरीजों के इलाज के लिए किया गया है. बताया जाता है कि आयुष्मान कार्ड जिला के सभी जन वितरण दुकान पर होना है. कार्ड बनाने का काम शुरू भी किया गया है. मगर गति इतना धीमी है की टारगेट के अनुसार कार्ड नहीं बन पा रहा है. आयुष्मान भारत के जिला किडिनेटर जयंत कुमार बताते हैं कि इस अभियान में अभी तक करीब सत्तर हजार कार्ड बना है. तक विशेष अभियान चल रहा है. उन्होंने बताया कि जिला में कुल 45 लाख कार्ड बनाना है. जिसमे अभी तक करीब बारह लाख कार्ड बना है. एक फाइल प्रशासनिक अधिकारी के पास गया है. अभी फाइल आया नहीं है.
इधर आयुष्मान कार्ड धारक को बीमारी के अनुसार नर्सिंग होम का चयन नहीं होने से कार्ड रहते हुए निजी डॉक्टर के यहां इलाज करवा रहे हैं. इस संबंध में सी एस डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला प्रशासन और आयुष्मान से जुड़ा है. मगर नर्सिंग होम के चयन की प्रक्रिया में तेजी लाने से ही कार्ड धारक को लाभ होगा.
मधुबन में 40-45 प्रतिशत लोगों का ही बना कार्ड: मधुबन में आयुष्मान कार्ड बनाने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है. अभी तक महज 40-45 प्रतिशत लोगों का आयुष्मान कार्ड ही बन पाया है. इसके पीछे कार्ड बनाने वाली एजेंसी द्वारा प्रतिनियुक्त वीएलई का पीडीएस दुकानों पर नहीं पहुंचना कारण बताया जा रहा है. मधुबन मे पीडीएस के 82 विक्रेता हैं. पीडीएस के विक्रेताओं ने बताया कि जिला से चयनित एजेंसी व वीएलई का मोबाइल स्वीच ऑफ बता रहा है. एजेंसी द्वारा लोकल स्तर पर प्रत्येक पंचायत में दो-तीन वीएलई को जिम्मेवारी दी गयी है.