Motihari: फाइलेरिया मरीजों की संख्या 1526 के पार

वर्तमान में जिले में फाइलेरिया के चिन्हित मरीजों की संख्या 1526 है

Update: 2024-08-02 07:19 GMT

मोतिहारी: जिले में एक साल में 78 हाइड्रोसील मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है. वर्तमान में जिले में फाइलेरिया के चिन्हित मरीजों की संख्या 1526 है. इसमें लिंफोडेमा के 1154, हाइड्रोसील के 372, हाइड्रोसील के ऑपरेशन 78 मरीज, 251 फाइलेरिया के मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया है.

सदर अस्पताल स्थित फाइलेरिया क्लिनिक में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाती है. क्लिनिक में हाथीपांव के मरीज सलाह, उपचार एवं सफाई को लेकर प्रतिनियुक्त प्रशिक्षित स्टा़फ नर्स (जीएनएम) से जानकारी लेते हैं. क्लिनिक का संचालन प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक होता है और हर को इसमें हाइड्रोशील का ऑपरेशन किया जाता है. सदर अस्पताल में फाइलेरिया क्लिनिक की शुरूआत सदर अस्पताल में दो फरवरी 2023 को हुई थी.

सर्वजन दवा कार्यक्रम का तहत खिलाई जाएगी दवा जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर डी. एस. सिंह ने बताया कि जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चयनित प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) की शुरुआत 10 अगस्त से की जाएगी. इस अभियान में आशा घर-घर जाकर दो साल से अधिक उम्र के लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी.

फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिसे फाइलेरिया की दवा सेवन से ही बचा जा सकता है. कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्षण सामने आने में वर्षों लग जाते हैं. इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन करना सभी लोगों के लिए जरूरी है.

फाइलेरिया मरीज रोग प्रबंधन को हों जागरूक

एसीएमओ डॉ. आरके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों को अपने रोग प्रबंधन के प्रति जागरूक होना जरूरी है. ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए जिले में मॉरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिस्टेबिलिटी प्रीवेंशन यानी एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है. एमएमडीपी किट के वितरण के साथ इसके इस्तेमाल की जानकारी दी जा रही है.

सभी पीएचसी में खोला गया है क्लिनिक

एसीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों की देखभाल के लिए सभी पीएचसी में रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) फाइलेरिया क्लिनिक शुरू किया गया है. इससे फाइलेरिया से बचाव, उपचार तथा लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाती है. दवा सेवन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

फाइलेरिया परजीवी से संक्रमित मादा क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलता है. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के माध्यम से उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी फाइलेरिया हो जाता है. ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.

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