मधुबनी न्यूज़: बिहार के दुग्ध उत्पादों के स्वाद विदेशी भी चख सकेंगे. सुधा के पेड़े, दही, मह्वा, घी आदि को विदेशों में निर्यात करने की तैयारी है. कॉम्फेड इसके लिए नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) की सदस्यता ले रहा है.
सदस्यता के लिए एक करोड़ रुपये की पूंजी एनसीईएल के पास जमा की जाएगी. बिहार राज्य दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड (कॉम्फेड) की हाल में हुई बैठक में नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड की सदस्यता लेने का निर्णय किया गया है. इससे पहले यह पता लगाया जाएगा सुधा के किस उत्पाद की मांग ज्यादा है. इसके लिए निजी एजेंसी (कंसल्टेंसी) की मदद ली जाएगी. कॉम्फेड जीएम रमेश मिश्रा कहते हैं कि एजेंसी चयन के लिए निविदा की जाएगी. एजेंसी के जरिए सुधा के उत्पादों की ब्रांडिंग भी की जाएगी. जिस उत्पाद की ज्यादा मांग होगी, उसी का निर्यात किया जाएगा. सुधा दूध और उसके उत्पाद अभी देश के पांच राज्यों में भेजे जा रहे हैं. बिहार-झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और असम में सुधा के आउटलेट हैं. कॉम्फेड का प्रयास है कि विपणन नीति बढ़ाकर देश के अन्य राज्यों ही नहीं विदेशों में भी सुधा के उत्पाद पहुंचे. इससे बिहार के पशुपालकों की आय सुधरेगी.
बिहार में प्रति व्यक्ति 270 ग्राम खपत राज्य में दूध की खपत बढ़ी है. अभी प्रति व्यक्ति खपत 270 ग्राम है. वर्ष 2022 से पहले खपत 232 ग्राम थी. सरकार उन्नत नस्ल की देसी गायों की संख्या बढ़ाकर दूध उत्पादन को बढ़ाने में जुटी है. राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति खपत 444 ग्राम है.
दुग्ध समितियों को जोड़ने का चल रहा अभियान
दुग्ध संग्रह बढ़ाने के लिए कॉम्फेड की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. पशुपालकों का सर्वे किया जा रहा है. अभी तक करीब 800 गांवों में अभियान चलाया जा चुका है. इसके लिए करीब 36 हजार ग्रामीणों को सहकारिता के फायदे बताए गए हैं. एमडी अभय कुमार सिंह ने बताया कि इसी का परिणाम है कि बारह जुलाई को दूध का संग्रह 25.78 लाख लीटर हुआ. विदेशों में निर्यात शुरू करने से पहले इसे और बढ़ाया जाएगा