बेतिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में विश्व मानवतावादी दिवस के अवसर पर आज विश्व भर में सामाजिक सौहार्द, आपसी भाईचारा एवं शांति स्थापित करने के लिए अपनी जानो की आहुति देने वाले लोगों के सम्मान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद (अधिवक्ता), डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रुप से कहा कि प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है।आज का दिन उन लोगों के सम्मान में समर्पित है। जिन्होंने विश्व के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक सौहार्द, आपसी भाईचारा एवं शांति स्थापित करने के लिए अपनी जाने दे दी।
प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध में विशेष रूप से भारतीय लोगों के अतुल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। आज मानवतावादी विचारों की अत्यधिक आवश्यकता है। विश्व के अनेक देशों में अशांति है। संयुक्त राष्ट्र केवल 7 देशों अफ़गानिस्तान, मध्य अफ्रीका, सोमालिया, यमन सीरिया कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इराक में 26000 से अधिक नागरिकों की मौत या घायल होने की घटना दर्ज की है। विश्व भर में फैली अशांति एवं संघर्ष के बीच लाखों लोग अपनी सरजमीं से विस्थापित हुए हैं। ऐसे लोगों की संख्या लगभग 6 करोड़ से अधिक है। बच्चों, महिलाओं को सशस्त्र समूहों एवं संगठनों द्वारा सैनिक के रूप में भर्ती किया जा रहा है। उन्हें युद्ध क्षेत्रों में झोंका जा रहा है ।राहत कर्मियों एवं चिकित्सा कर्मियों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
विश्व भर में शांति स्थापित करने के लिए सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन विभिन्न सामाजिक संगठनों, विश्व स्तरीय नेताओं एवं सरकारों से संघर्ष से प्रभावित लोगों की हर संभव सहायता करने की अपील करती है। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल , डॉ एजाज अहमद, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल एवं डॉशाहनवाज अली ने संयुक्त रुप से कहां कि रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी ,तिब्बती शरणार्थी, यामिनी शरणार्थी ,सीरियाई शरणार्थी ,अफगानिस्तानी शरणार्थी, इराकी शरणार्थी ,पश्चिम एशिया के देशों के शरणार्थी एवं विश्व के अनेक हिस्सों में शरणार्थी अपने वतन वापसी की राह देख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र विश्व बिरादरी एवं विश्व के सभी देशों की यह नैतिक जिम्मेवारी है कि स्वदेश वापसी की राह देख रहे हैं शरणार्थियों के सपनों को साकार करें। यह तभी संभव है जब विश्व में स्थाई शांति हो।