पटना, (आईएएनएस)| हिंदू धर्मावलंबियों के पवित्र ग्रंथ श्रीरामचरित मानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा दिए गए एक बयान के बाद बिहार की सियासत में जारी सियासी महाभारत समाप्त होने का नाम का नाम नहीं ले रही है।
राजद नेता के रामचरितमानस के अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भाजपा के नेता तो शुरू से ही आक्रामक नजर आ ही रहे हैं, सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल जदयू और राजद अब आमने सामने आ गए हैं।
जदयू के नेता अब मंत्री के बयान की आलोचना करते हुए इस मामले को राजद का बता रहे हैं।
वैसे चंद्रशेखर मंत्रिमंडल में शामिल हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी कहते हैं कि यह मामला पूरी तरह राजद का है और राजद का नेतृत्व इस मामले को लेकर निर्णय लेने में सक्षम है।
जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा तो यहां तक कह रहे हैं कि यह भाजपा के इशारे पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा महागठबंधन को तोड़ने की साजिश रच रही है। उन्होंने भी कहा कि शिक्षा मंत्री के बयान को कभी सही नहीं ठहराया जा सकता।
इधर, राजद के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार को फिर से दोहराया कि देश का सबसे बड़ा ग्रंथ भारत का संविधान है और उसी के अनुसार भारत चलेगा। संविधान सभी धर्मों का सम्मान करने की बात करता है। उन्होंने हालांकि शिक्षा मंत्री के बयान पर साफ शब्दों में तो कुछ नहीं कहा।
यादव रविवार को इतना जरूर कहा था कि बयानवीरों से गठबंधन नहीं है। बयानवीरों पर सबकी नजर है। वैसे, भले ही तेजस्वी शिक्षा मंत्री के बयान पर खुल कर कुछ नहीं बोल रहे हों लेकिन राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने मंत्री के बयान से सहमत नहीं है। तिवारी कहते हैं कि रामचरितमानस केवल भेदभाव पैदा करने वाला ग्रंथ नहीं है।
इधर, भाजपा इस मुद्दे को हवा देने में जुटी है। भाजपा के नेता इस मुद्दे को लेकर अभी भी शिक्षा मंत्री से माफी मांगने या मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।
--आईएएनएस