Madhubani: संगीन मामले में प्राथमिक साक्ष्य के साथ द्वितीयक साक्ष्य को महत्व दिया जायेगा.
संगीन केस की होगी फॉरेंसिक जांच
मधुबनी: अब निर्दोष लोगों को संगीन अपराधिक घटना का आरोपी कोई भी व्यक्ति नहीं बना सकेंगे. संगीन मामले में प्राथमिक साक्ष्य के साथ द्वितीयक साक्ष्य को महत्व दिया जायेगा.
हत्या का प्रयास करने, हत्या करने जैसे कई प्रकार के संगीन मामले में पुलिस अब फॉरेंसिंक जांच करायेगी. हालांकि इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि किस तरह के आईपीसी में फॉरेंसिंक या एफएसएल की जांच करायी जायेगी. मगर संगीन अपराध में एफएसएल या तकनीकी व वैज्ञानिक जांच को ज्यादा महत्व देने को कहा गया है. इसके लिए आईपीसी की नई कानून में कई बदलाव किया गया है. इस बदलाव का प्रयोग इसी वर्ष जुलाई माह से शुरू हो जायेगा. आईपीसी का बदला नंबर भी जुलाई माह से लागू कर दिया जायेगा. इसकी जानकारी जिले के सभी थाना क्षेत्रों दिया जा रहा है प्रशिक्षण में बताया जा रहा है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम में वर्णित तत्वों के अनुसार पुलिस कर्मियों को बताया जा रहा है कि द्वितीयक साक्ष्य का दायरा बढ़ाया गया है.
अब बिना सबूत किसी को फंसा देना होगा मुश्किल: पुलिस पदाधिकारी की मानें तो साक्ष्य अधिनियम का पालन होने से किसी भी कांड के पीड़ित व्यक्ति द्वारा दी जानकारी व साक्ष्य अंतिम नहीं माना जायेगा. बल्कि द्वितीयक साक्ष्य के अंतर्गत एफएसएल और वैज्ञानिक अनुसंधान को भी महत्व देते हुए अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया जायेगा. ताकि पीड़ित को न्याय दिलाने में पुलिस को ज्यादा समय नहीं लगेगा. इन दिन कोई भी किसी को जान मारने का प्रयास करने का आरोप लगा देता है.
नये कानून में द्वितीयक साक्ष्य यानि एफएसएल और वैज्ञानिक अनुसंधान से मिले साक्ष्य को महत्व बढ़ाया गया है. संगीन अपराध में जरूरत के अनुसार पुलिस एफएसल और वैज्ञानिक अनुसंधान कराकर उससे प्राप्त साक्ष्य के आधार पर वादी को न्याय दिलाने में पुलिस काम करेगी. -विकास कुमार, डीआईजी, पूर्णिया प्रक्षेत्र .