आम बिजली उपभोक्ताओं से लूट, रसूखवालों को करोड़ों की छूट

Update: 2023-05-15 09:09 GMT

देहरादून न्यूज़: यूपीसीएल के मनमाने बिजली के बिलों से जहां आम जनता से लूट हो रही है, वहीं करोड़ों के बकायेदारों को यूपीसीएल की चूक, लापरवाही के कारण छूट मिल जा रही है. यूपीसीएल ने मीटर स्लो चलने के मामले में प्रदेशभर के कई होटल, उद्योग, वाणज्यिक संस्थानों को बिजली के बिल संशोधित कर भेजे. लाखों-करोड़ों के ऊर्जा निगम के इन बिलों को विद्युत लोकपाल ने पूरी तरह माफ कर दिया है.

दून शहर में ही करीब 200 से अधिक ऐसे मामले हैं, जिसमें 50 हजार से 1.80 करोड़ रुपये तक के बिजली के बिल माफ कर दिए गए. यूपीसीएल ने समय समय पर बड़े संस्थानों के मीटर की जांच की. जांच में यूपीसीएल ने पाया कि उक्त मीटरों में खपत से कम रीडिंग दिखाई जा रही है. इन मीटर की जांच को चेक मीटर लगाए गए. चेक मीटर में बिजली की खपत अधिक रही. इस पर यूपीसीएल ने लाखों-करोड़ों रुपये के बिल जारी किए. इन बिलों को संस्थानों ने पहले विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में चुनौती दी. मंच ने फैसला यूपीसीएल के पक्ष में दिया. मीटर की एमआरआई जांच के आधार पर आई रिपोर्ट को फैसलों का आधार बनाया गया. बाद में लोकपाल ने मंच के फैसलों को ये कहते हुए पलट दिया कि जिन चेक मीटर की रिपोर्ट को आधार बनाया जा रहा है, उनकी कोई प्रमाणिकता नहीं है. चेक मीटर यूपीसीएल की लैब एनएबीएल से प्रमाणित नहीं हैं.

पहुंच वालों के 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के बिल माफ जिन लोगों के लाखों-करोड़ों रुपये के बिल माफ हुए हैं, वे सभी रसूखदार हैं. कोई उद्योगपति है तो कोई होटल मालिक. किसी का नामी-गिरामी स्कूल है तो किसी का बड़ा वाणिज्यिक संस्थान है. पूरे उत्तराखंडमें करीब 1500 से अधिक फैसलों में विद्युत लोकपाल ने मंच के फैसलों को पलटा है. इससे यूपीसीएल को 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. दूसरी ओर, आम उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिल रही है. सुमननगर निवासी टीडी रतूड़ी के घर 26 हजार रुपये का बिल आया. यूपीसीएल से शिकायत की तो बताया गया कि उन का मीटर स्लो है. चेक मीटर लगाकर भी यूपीसीएल ने अपने बिल को सही बताया. इसी तरह कई अन्य मामलों में भी आम घरेलू उपभोक्ताओं को इसी तरह नुकसान पहुंच रहा है.

नुकसान के लिए यूपीसीएल ही जिम्मेदार करोड़ों रुपये के नुकसान के लिए यूपीसीएल भी जिम्मेदार है. यूपीसीएल वर्षों से अपनी मीटर लैब को एनएबीएल से प्रमाणित नहीं करा पाया. अब जब करोड़ों का नुकसान हो चुका है तो यूपीसीएल को आवेदन की याद आई है. अब इस पूरी प्रक्रिया में तीन-चार महीने लगने तय हैं.


Tags:    

Similar News

-->