बगहाः बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला के पिपरासी प्रखंड के कई पंचायतों में हर साल गंडक नदी कहर बरपाती है और यहां बाढ़ आती है. जिससे बीते 5 वर्षों में सिर्फ सेमरा लबेदाहा पंचायत के कांटी टोला (Flood Victims Not Get Compensation In Bagaha) में ही 250 से अधिक लोगों का घर नदी के गर्भ में समा (250 Houses Destroyed In Flood At Kanti Tola) गया. अब इस गांव में महज 80 घर बचे हैं. लोग बाढ़ और कटाव का दंश आज भी झेल रहे हैं. घरों की बात तो अलग है, ग्रामीणों का सैकड़ों एकड़ खेत भी अब कटकर नदी का रूप ले चुका है.
प्रशासन ने अब तक नहीं ली सुधः हर साल की तरह इस बार भी बिहार में बाढ़ आने के आसार शुरू हो गए हैं. कई इलाके तो डूबने भी लगे हैं. अब इन इलाकों के लोगों को फिर से तबाह होने का डर सताने लगा है. बगहा के कांटी टोला में तो पिछले पांच साल से कटाव का दंश झेल रहे पीड़ितों का मुआवजा तक नहीं मिला है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने अब तक इनकी सुध नहीं ली है. जबकि अधिकांश परिवार मुआवजे और पुनर्वासित जमीन का इंतजार करते करते यूपी या बिहार के अन्य जगहों पर जाकर बस गए. कुछ लोग किराए पर मकान लेकर रह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी भी दर्जनों कटाव पीड़ित परिवार कांटी टोला या आसपास में बसे हैं और पुनर्वासित होने का इंतजार कर रहे हैं.
पीड़ितों को नहीं मिला अबतक मुआवजाः वहीं सेमरा लबेदाहा पंचायत के मुखिया पति छेदी लाल बताते हैं कि पहले इस पंचायत के कांटी टोला में 250 से ज्यादा घर हुआ करता था. धीरे -धीरे सब कटता गया और अब महज 80 से 90 घर बचे हैं. आज तक पीड़ितों को ना तो मुआवजा मिला और ना ही पुनर्वासित ही किया गया. मुखिया पति ने बताया कि बहुत प्रयास के बाद प्रशासन ने बसाने की पहल शुरू की है लेकिन दूसरे पंचायत में पुनर्वासित करने की योजना है लिहाजा ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं.
क्या है एसडीएम का कहनाः इस संबंध में जब एसडीएम दीपक मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष यहां पदस्थापित होते ही सबसे पहले कांटी टोला के बाढ़ कटाव पीड़ित इलाके का दौरा किया था. लिहाजा उन्हें पुनर्वासित करने और कटाव से बचाने की पहल शुरू की. इन कटाव पीड़ितों को मंझरिया पंचायत में पुनर्वासित करने की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन लोग दूसरे पंचायत में बसने को तैयार नहीं हैं ऐसे में शीघ्र ही उन्हें मना लिया जाएगा और उन्हें पुनर्वासित किया जाएगा.