मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर कल्पवासियों ने उठाए सवाल, कहा सब नौटंकी है

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Update: 2022-11-09 18:52 GMT
बेगूसराय। बेगूसराय के सिमरिया में लगने वाले कार्तिक कल्पवास मेला के निरीक्षण में कार्तिक पूर्णिमा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन से कुछ साधु समाज में भले ही खुशी का माहौल हो। लेकिन अधिकतर खालसा एवं स्थाई साधु-संत तथा कल्पवास करने आए लोग इसे नौटंकी करार दे रहे हैं। बुधवार की शाम सिमरिया गंगा धाम के निरीक्षण के लिए आए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर एक ओर एक घंटा से अधिक समय तक एनएच-31 पर थर्मल चौक से लेकर हाथीदह तक आवागमन रोक दिया गया था। जिसमें कई स्कूली वाहन और एंबुलेंस सहित जरूरतमंद लोग फंसे रहे, जो की चर्चा का विषय बना रहा। वहीं, सिमरिया में निरीक्षण के दौरान कुछ गीने-चुने लोगों को ही मुख्यमंत्री के पंडाल में अनुमति देने से सिमरिया कल्पवास क्षेत्र में मौजूद लोगों में काफी आक्रोश है। मुख्यमंत्री जिस खालसा में आए वहां मात्रा 15 साधु-संत को ही प्रवेश करने की अनुमति दी गई। उसमें भी स्थाई रूप से सिमरिया में रहने वाले कोई भी संत को नहीं बुलाया गया है। चर्चा है कि जिस खालसा में मुख्यमंत्री आए थे, उसके महंत राम उदित दास उर्फ मौनी बाबा दरभंगा के भाजपा संसद गोपाल जी ठाकुर के विरोधी हैं और संत रहते हुए भी जदयू के काफी करीब हैं। जिसके कारण सिमरिया में स्थाई रूप से आश्रम और मंदिर बनाकर रह रहे संत-महंत हो नहीं बुलाया गया था। इधर चार बजे से प्रस्तावित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर एक घंटा पहले से ही खालसा के आसपास किसी भी कल्पवासी को फटकने तक नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री की एक झलक पाने के लिए सैकड़ो महिलाएं मौके पर जुटी हुई थी, लेकिन सभी को हटा दिया गया, जिससे इन लोगों में काफी आक्रोश था।
मधुबनी से आकर एक महीने से कल्पवास कर रही रामा देवी, सीता देवी, मनमोहिनी देवी, राधे झा, भिखारी चौधरी आदि ने कहा की सिमरिया में कार्तिक में कल्पवास लगता है, हम लोग यहां 20 वर्षों से आ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष जितनी असुविधा हुई उतनी कभी नहीं होती थी। बिहार सरकार ने इसे राजकीय कल्पवास मेला का दर्ज दिया है, लेकिन पूरे कल्पवास महीने में हम लोग जलालत झेलते रहे। पहले राशन मिलता था, अब तो राशन भी नहीं मिलता है, शौचालय और पानी की व्यवस्था भी ठीक से नहीं हो सकी। कार्तिक पूर्णिमा समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री का यहां आना केवल नौटंकी है, हम लोगों को कोई सुविधा नहीं दी गई, जिसके लिए लगातार सवाल भी उठाया गया। लेकिन मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तय होते ही मात्र दो दिन में सिमरिया गंगा धाम चकाचक हो गया। गलतियों पर मुख्यमंत्री की नजर नहीं पड़े इसके लिए सब जगह पर्दा और फ्लेक्स लगा दिया गया। हम लोगों को मुख्यमंत्री को देखने देना चाहिए था, हम लोग उन्हें अपना दुख दर्द बताते, ताकि इस बार ना सही अगले वर्ष से ही कुछ तो सुविधा मिलती। लेकिन लाठी के बल पर प्रशासन ने हम लोगों को हटा दिया। मुख्यमंत्री खालसा के एक छोटे से पंडाल में आए, अगर उन्हें लोगों का दुख दर्द समझना और सुनना था तो जिला प्रशासन द्वारा मेला के लिए बनाए गए पंडाल में आना चाहिए था। महिलाओं ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने वोट की राजनीति के लिए आज खालसा में आए, चरणामृत ग्रहण किया, कुछ जिन चुने साधु संतों से मिले। लेकिन इससे क्या होगा, उन्हें लोकप्रिय बनने के लिए सबके सामने आना चाहिए। अधिकारियों को मुख्यमंत्री को देखने के लिए सबको जाने देना चाहिए था। इधर, मुख्यमंत्री के आने से पहले ही थर्मल के समीप का रेलवे फाटक एवं सिमरिया पुल के पटना छोड़ को बंद कर दिया गया था। जिसके कारण दोनों ओर हजारों लोग एक घंटा से अधिक समय तक परेशान होते रहे, जरूरतमंद लोग बाइक से भी निकलना चाहते थे। लेकिन मौके पर तैनात अधिकारी और पुलिसकर्मियों ने उन्हें भी जाने नहीं दिया।
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