मुंगेर न्यूज़: समेकित बाल विकास परियोजना आईसीडीएस से जुड़े अधिकारी व कर्मियों की उदासीनता के कारण सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के इलाज व भोजन के लिए व्यापक व्यवस्था होने के बावजूद केंद्र में कुपोषित बच्चों का नियमित रूप से भर्ती नहीं होना विभागीय कर्मी के कार्यशैली पर सवाल उठाता है.
हालांकि जिले के पूर्व डीएम मुंगेर के वर्तमान आयुक्त संजय कुमार सिंह के कुपोषित बच्चों के प्रति लगाव व उनकी स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता के कारण समय - समय पर जिला प्रोग्राम पदाधिकारी एवं आईसीडीएस के पदाधिकारियों के साथ पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के भर्ती को लेकर समीक्षात्मक बैठक के कारण केंद्र में बच्चों का आना या संबंधित पदाधिकारियों का लाना मजबूरी बन चुका है. इसी का नतीजा है कि अप्रैल के पहले पखवारा यानी एक से 15 अप्रैल तक सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में एक भी बच्चे की एंट्री नहीं हुई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पोषण पुनर्वास केंद्र के नियमित समीक्षा के दौरान एक से 15 तक एक भी बच्चे का केंद्र में इंट्री नहीं होने पर आयुक्त ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कुपोषित बच्चों को हर हालत में सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने का निर्देश दिया. सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में 16 अप्रैल से कुपोषित बच्चों की इंट्री शुरू हो गई. वहीं मामले की गंभीरता को देख सभी जिले के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी एवं आईसीडीएस कर्मियों की एक बैठक 26 अप्रैल को मुंगेर स्थित कार्यालय में बुला लिया. जिसमें स्पष्ट रुप से कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र में हर हालत में भर्ती कराने का निर्देश दिया.
वहीं अचानक 16 अप्रैल से केंद्र में बच्चों की इंट्री लगातार होने लगी व संख्या 28 अप्रैल तक महज 13 दिन में 18 तक पहुंच गई. देवेंद्र ने बताया कि सभी प्रखंड से कुपोषित बच्चे की इंट्री पोषण पुनर्वास केंद्र में हुई. जिसमें बड़हिया, पिपरिया, सूर्यगढ़ा, चानन, हलसी, रामगढ़चौक एवं सदर प्रखंड शामिल है.