आगरा। आगरा में आर्थिक तंगी से परेशान सोनू ने पत्नी गीता और 8 साल की बेटी के साथ सुसाइड किया। गुरुवार को ताजगंज के शवदाह गृह में एक साथ 3 चिताएं जलीं। गीता के परिवार के लोग आखिरी बार बेटी को देखने भी नहीं पहुंचे। 10 साल के मासूम श्याम ने बाप-मां और बहन को मुखाग्नि दी। ये भी सामने आया कि सोनू परेशान रहता था। परिवार के लोग उसको एक तांत्रिक के पास ले जाकर झाड़-फूंक भी करवाते थे। मगर इससे सोनू और भी ज्यादा डिप्रेशन में चला गया।
घरवाले बोले- ऊपरी चक्कर के चलते परेशान था सोनू
सोनू के परिवार वालों का कहना है," सोनू हरिद्वार गया था। वापस आने के बाद घर के पास ही किराए पर रहने लगा। वहां एक पीपल का पेड़ था। किसी ने उससे पीपल के पेड़ पर तेजाब डलवा दिया था। इसके बाद से सोनू परेशान रहने लगा। उसे रात को डरवाने सपने आते। वो अलग तरह की बातें करने लगा था।
इसके बाद सोनू की कई जगह झाड़-फूंक कर इलाज भी करवाया गया था। मगर, इसका बहुत ज्यादा असर नहीं दिखा। सोनू की मां का कहना है कि उसे किसी तांत्रिक के पास ले जाते थे तो वो वहां पर हंगामा कर देता था। बाद में उसने उनके साथ कहीं भी जाने से इनकार कर दिया।"
सोनू की लव मैरिज से नाराज थे गीता के परिवार वाले
ब फिर खबर में आगे बढ़ते हैं। गीता ने 14 साल पहले सोनू से लव मैरिज की थी। लव मैरिज से गीता के परिजन खुश नहीं थे। उन्होंने बेटी से नाता तोड़ दिया था। बेटी के आत्महत्या करने के बाद गीता के परिजन अंतिम बार भी उसकी शक्ल देखने नहीं आए। सोनू के एक रिश्तेदार ने बताया कि गीता के परिजनों से किसी का कोई संपर्क नहीं था। लंबे समय से उनका कोई आना-जाना नहीं था।
पति-पत्नी 7 दिन से घर में ही कैद थे
आगरा में बुधवार सुबह सोनू ने पत्नी गीता और 8 साल की बेटी के साथ घर के एक कमरे में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। पति-पत्नी सात दिन से घर के बाहर नहीं निकले थे। बेटी और बेटा कभी कभार बाहर आकर खेलते थे। परिवार का कहना है कि उनके मृतक बेटे की मानसिक हालत ठीक नहीं थी।
SSP प्रभाकर चौधरी ने बताया, ''पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला है। उसमें बेरोजगारी का जिक्र है। लिखा है कि परिवार पर बोझ बन गया हूं। साथ ही पति-पत्नी और बेटी की तरफ से सुसाइड करने की सहमति है। शायद 10 साल का बेटा मरने के लिए तैयार नहीं हुआ तो उसे जिंदा छोड़ दिया गया।''
सुबह बेटा घर के बाहर खेल रहा था। तभी बुआ ने उसे घर से आटा लाने के लिए भेजा। उसने घर जाने से इंकार कर दिया। वह कहने लगा कि घर में मम्मी-पापा और बहन फांसी पर लटके हुए हैं। वो लोग बचाने भी पहुंचे। मगर तीनों की मौत हो चुकी थी। गुरुवार रात 11 बजे तीनों का पोस्टमार्टम पूरा हुआ। उनके शव को परिजनों के सुपुर्द किया गया। शव को लेकर परिजन घर आ गए। रात में अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं हो सकी। सुबह आठ बजे सोनू, गीता और सृष्टि का अंतिम संस्कार किया गया। मोहल्ले के लोग ही अंतिम संस्कार में शामिल हुए।