आजादी के बाद पहले चुनाव में दरभंगा नाम से थे पांच लोस क्षेत्र

संसदीय चुनाव में दरभंगा के नाम से पांच संसदीय क्षेत्र हुआ करता था

Update: 2024-04-03 04:12 GMT

दरभंगा: आजादी के बाद 1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव में दरभंगा के नाम से पांच संसदीय क्षेत्र हुआ करता था. इसमें दरभंगा सेंट्रल से श्रीनारायण दास, दरभंगा पूर्वी से अनिरुद्ध सिन्हा, दरभंगा उत्तर से श्याम नंदन प्रसाद, दरभंगा सह भागलपुर से ललित नारायण मिश्र व दरभंगा सह मुजफ्फरपुर से भी एक साथ दो सांसद रामेश्वर साहू एवं राजेश्वर पटेल चुने गए (सभी कांग्रेस). आजादी के बाद दरभंगा लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस का ही दबदबा रहा. यहां 1952 से 1972 तक के चुनाव में कांग्रेस की एकतरफा जीत हुई थी. 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में जनता पार्टी की जीत हुई, लेकिन 1980 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने वापसी कर सीट जीत ली. इंदिरा गांधी के निधन के बाद उपजी सहानुभूति लहर में 1984 में कांग्रेस ने पूरे देश में परचम लहराया, लेकिन यहां लोकदल ने कांग्रेस को पटकनी दे दी. उसके बाद आज तक दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने वापसी नहीं की है. वर्ष 1989 से 1996 तक यहां जनता दल का कब्जा रहा. फिर जनता दल के विभाजन के बाद 1998 में यह सीट राजद की झोली में चली गयी. 1999 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार अपना परचम लहराया, लेकिन 2004 में फिर राजद ने यह सीट हथिया ली. इसके बाद 2009 से लेकर 2019 तक लगातार यह सीट भाजपा के कब्जे में है. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से सबसे अधिक चार बार 1991, 1996,1998, एवं 2004 में समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री मो. अली अशरफ फातमी ने जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बनाया है. कांग्रेसी नेता श्रीनारायण दास (1952, 1957, 1962) एवं तत्कालीन भाजपा नेता सह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी कीर्ति झा आजाद (1999, 2009, 2014) ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है.

इसके अलावा जितने भी नेता यहां से सांसद चुने गए हैं उनमें से कोई भी दोबारा जीत दर्ज नहीं की है. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में पिछले तीन चुनावों से भाजपा अपना परचम लहरा रही है. 2009 एवं 2014 के चुनाव में भाजपा के कीर्ति झा आजाद ने राजद के मो. अली अशरफ फातमी को मात दी थी. फातमी ने लगातार अपनी दो हार के बाद समीक्षा की और वे मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से किस्मत आजमाने के लिए क्षेत्र भ्रमण करने लगे, परंतु राजद ने 2019 में उन्हें न तो मधुबनी से टिकट दिया और न ही दरभंगा से. नतीजतन उन्होंने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया. हालांकि उन्होंने हाल ही में जदयू से भी इस्तीफा दे दिया है. इधर, अब्दुल बारी सिद्दीकी ने 2014 में राजद के टिकट पर मधुबनी से पराजित होने के बाद 2019 के चुनाव में राजद के टिकट पर ही दरभंगा से किस्मत आजमायी, पर भाजपा के डॉ. गोपाल जी ठाकुर से वे मात खा गए. अब राजद दरभंगा में खोयी अपनी जमीन फिर से हासिल करने के लिए जुटा है.

Tags:    

Similar News

-->