खगड़िया। डिजिटल युग में लोगों का मोहभंग हो रहा है – समाचार पत्रों से। मगर आज भी ऐसे ऐसे लोग हैं जो बिना समाचार पत्रों को पढ़े नहीं रहते। कहने का मतलब है समाचार पत्रों की गरिमा आज भी बरकरार है। आज के अधिकांश युवा वर्ग हर प्रकार की खबर मोबाईल फोन पर ही पढ़ रहे हैं। मगर, समाचार पत्र एक मॉल की तरह है, अगर निरंतर समाचार पत्रों को पढ़ें तो आपको शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, स्वास्थ्य, खेल, सिनेमा, आर्थिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि हर गतिविधियों की करेंट जानकारियां मिलती है, जिससे किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के जनरल नॉलेज और इंटरव्यू में बहुत लाभ मिलता है। उक्त बातें, भारतीय समाचार पत्र दिवस के अवसर पर भारतीय समाचार पत्र संपादक महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक व वरिष्ठ पत्रकार डॉ अरविन्द वर्मा ने मीडिया से कही।
आगे उन्होंने कहा हिंदुस्तान में गत 29 जनवरी 1780 को पहला भारतीय अखबार प्रकाशित हुआ था। पहले सप्ताहिक प्रकाशन को " हिक्की का बंगाल राजपत्र " कहा जाता था, जिसे " कलकत्ता जनरल विज्ञापनदाता " भी कहा जाता है। उसे ही महत्वपूर्ण अवसर मानते हुए हर वर्ष 29 जनवरी को भारतीय समाचार पत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ वर्मा ने विशेष कर देश के नौजवानों, छात्र छात्राओं से अपील किया कि चाहे आप कितना भी सोशल मीडिया से जुड़े रहें पर हर घर में कम से कम एक अख़बार अवश्य लें, जिससे आपके सारे पारिवारिक सदस्य लाभान्वित हो सकें। भारतीय समाचार पत्र दिवस पर अख़बार की महत्ता पर भी चर्चा हुई।