Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी ये खास पांच चीजें आज भी इस गुरुद्वारे में है मौजूद

सिखों के 10वें और आखिरी गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती 9 जनवरी को है।

Update: 2022-01-08 10:58 GMT

सिखों के 10वें और आखिरी गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती 9 जनवरी को है। गुरु गोबिंंद सिंह ने गुरु प्रथा का अंत करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब को ही सबसे बड़ा गुरु बताया। इतना ही नहीं उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और खालसा वाणी 'वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह' दी। उनके जन्मदिन के मौके पर प्रकाश पर्व का आयोजन होता है। इस खास और पवित्र मौके पर सबसे ज्यादा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्म स्थली बिहार की राजधानी पटना में होता है। पटना में तख्त श्री पटना साहिब या श्री हरमंदिर जी पटना साहिब स्थित है, जो सिखों की आस्था से जुड़ा ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर बिहार के पटना साहिब गुरुद्वारा में भारी भीड़ उमड़ आती है। लोग यहां दर्शन और सेवा के लिए आते हैं। इस गुरुद्वारे की अपनी ही खासियत है। यहां आज भी गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी पांच खास चीजों को संभाल कर रखा गया है। पटना साहिब गुरुद्वारा है खास

सिख धर्म अनुयायियों के लिए पंजाब के स्वर्ण मंदिर के बाद बिहार का तख्त श्री पटना साहिब सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। पटना साहिब का विशेष महत्व है। यहां सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने इस पवित्र स्थली पर गुरुद्वारा का निर्माण कराया।गुरु गोबिंद सिंह की पांच खास चीजें हैं इस गुरुद्वारे में
पटना साहिब गुरुद्वारे की खास बात यह है कि यहां आज भी गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी कई प्रमाणिक वस्तुएं रखी हुई हैं। गुरु गोबिंद सिंह ने जीवन के पांच सिद्धांत दिए थे, जिसे पंच ककार कहते हैं। इसमें सिखों के लिए पांच चीजों को अनिवार्य बताया गया। ये पांच चीजें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा हैं।गुरु गोबिंद सिंह का बचपन बीता यहां
बिहार के पटना साहिब गुरुद्वारा में ये सभी चीजें मौजूद हैं। माना जाता है कि वहां रखी इन पांचों चीजों का इस्तेमाल गुरु गोबिंद सिंह जी स्वयं करते थे। इसमें गुरु गोबिंद सिंह की छोटी कृपाण भी मौजूद है। गुरु गोबिंद सिंह हमेशा इस कृपाण को अपने साथ रखते थे। इसके अलावा उनकी खड़ाऊं और कंघा भी पटना साहिब गुरुद्वारे में रखा हुआ है। इस पवित्र स्थान पर एक कुआं भी है, जिसका इस्तेमाल गुरु गोबिंद सिंह की मां पानी भरने के लिए किया करती थीं।


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