महागठबंधन और एनडीए दोनों ही अपना जनाधार बढ़ाने की योजना में जुटे

Update: 2023-02-28 13:02 GMT

पटना न्यूज़: प्रदेश में दो छोर पर महागठबंधन और भाजपा की रैली उनके अपने-अपने गढ़ों में हुई. पूर्णिया में महागठबंधन के सात दलों की रैली हुई तो लौरिया में भाजपा की. जहां सीमांचल और कोसी के इलाके में महागठबंधन का वर्चस्व है, वहीं चंपारण भगवामय है. इसीलिए दोनों ने अपने लोगों को अपना संदेश देने के लिए अपनी ‘धरती’ ही चुनी. सीमांचल के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और कोसी सहरसा, सुपौल व मधेपुरा के साथ भागलपुर को जोड़ दिया जाए तो इन आठ जिलों में महागठबंधन की एकतरफा ताकत स्पष्ट दिखती है. जबकि, चंपारण का गणित इससे पूरी तरह उलट है. यहां के लोकसभा में चुनाव में भाजपा की जीत हुई ही, विधानसभा क्षेत्रों में अधिसंख्य पर भाजपा का ही कब्जा है.

सीमांचल व कोसी इलाकों के 7 लोकसभा सीटों में 6 पर महागठबंधन का जबकि 1 पर भाजपा का कब्जा है. महागठबंधन हिस्से की 5 सीटें जदयू ने जबकि 1 कांग्रेस ने जीती है. उधर, चंपारण की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है. ऐसे तो लोकसभा चुनाव का रास्ता विधानसभा में उसकी स्थिति पर भी बहुत कुछ निर्भर करती है. लिहाजा, इन क्षेत्रों में महागठबंधन और एनडीए दोनों ही अपना जनाधार बढ़ाने की योजना में जुटे हैं.

इस बार महागठबंधन और एनडीए का स्वरूप बदला हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जदयू अब एनडीए की जगह महागठबंधन का हिस्सा है. लिहाजा महागठबंधन की ताकत और बढ़ी है.

चंपारण की 21विस सीटों में से 15 भाजपा के पास

चंपारण की दोनों लोकसभा क्षेत्र बेतिया और मोतिहारी भाजपा के पास है. यही नहीं यहां की 21 विधानसभा सीटों में से 15 उसी के पास है. जबकि, राजद के पास 03, जदयू के पास 02 और माले के पास 01 सीट है.

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