मुंगेर न्यूज़: मुंगेर से मिर्जाचौकी तक बनने वाले फोरलेन सड़क निर्माण के लिए हेरूदियारा से पाटम तक 15 मौजा के 500 रैयतों को अधिग्रहित जमीन की नई दर से मुआवजा भुगतान के लिए डीएम के आदेश पर जिला भूअर्जन विभाग ने एनएचएआई से 500 करोड़ का डिमांड किया है. लेकिन एनएचएआई रैयतों को नई दर से मुआवजा भुगतान में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.
डीएम नवीन कुमार ने बताया कि रैयत नई दर से मुआवजा लेने को तैयार हैं. लेकिन एनएचएआई राशि आवंटित नहीं कर रहा है. गौरतलब है कि मुंगेर मिर्जाचौकी फोरलेन सड़क मुंगेर जिला में 26.4 किलोमीटर बनना है. इसमें खड़िया पिपरा से होकर पाटम तक 17 किलोमीटर में जमीन अधिग्रहण कर एजेंसी निर्माण कार्य में जुटी है. परंतु पाटम से हेरूदियारा हरियो तक 9.4 किलोमीटर में 15 मौजों के किसानों ने कृषि भूमि का मुआवजा लेने से इंकार करते हुए आर्बिटेक्टर (प्रमंडलीय आयुक्त) के यहां आवेदन दिया था. प्रमंडलीय आयुक्त ने जमीन की जांच कर मुआवजा के लिए नया दर निर्धारित करने का आदेश दिया था. आयुक्त के निर्देश पर डीएम ने अधिग्रहित जमीन के मुआवजा का पुनर्मूल्यांकन के लिए 06 सदस्यीय कमेटी गठित की थी. कमेटी ने जांच में पाया कि 1905 के खतियान के आलोक में लगभग 7 से 8 हजार रुपये प्रति डिसमिल अधिग्रहित जमीन का मुआवजा निर्धारित था.
कमेटी द्वारा कृषि भूमि को आवासीय मानते हुए मुआवजा की राशि 13 गुणा बढ़ाकर रैयतों को भुगतान करने के लिए आदेशित किया. इस आलोक में 500 रैयतों को मुआवजा भुगतान के लिये भूअर्जन विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपए की डिमांड एनएचएआई से की गई. लेकिन एनएचएआई नई दर के अनुसार निर्धारित मुआवजा राशि भू-अर्जन विभाग को हस्तांतरित नहीं कर रही है. इस संबंध में एनएचएआई के परियोजना निदेशक प्रमोद माथुर का पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया गया लेकिन हर बार मोबाइल रिसीव कर मिटिंग में बिजी रहने की बात कहकर जवाब देने से कतराते रहे. मुआवजा का भूगतान नहीं होने से काम बाधित है.